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बीकानेर, यहां डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के अंतिम पड़ाव पर रविवार शाम जब मंच पर शास्त्रीय संगीत और गायन में होली के रंग घुले तो ब्रज में कान्हा की होली में गोपियों के संग होली खेलने, गोपियों पर रंग—गुलाल डालने और बरसाने की होली के दृश्य सजीव हो उठे।

प्रसिद्ध लोक गायिका रश्मि अग्रवाल ने क्लासिकल से इस होली की महफिल का आगाज भले ही किया, लेकिन उन्होंने ठुमरी में भी कन्हैया की होली का सुंदर मिश्रण​ करते हुए कान्हा खेलत है कहां ऐसी होरी… से माहौल में ब्रज के रंग घोल दिए। उन्होंने देश की सभी प्रसिद्ध होलियों के रंग अपने गानों से बरसाए। होली खेलन आयो श्याम आज… गाकर बरसाने की होली के दृश्य साकार कर दिए। भोजपुरी में उन्होंने फाग ‘रंग फागुन बसंती रंगा गएले राम’ राजस्थानी फाग — दारूड़ी रो दागो म्हारे फागणिया पे लाग्यो रे… सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। इतना ही नहीं, मराठी लोक नृत्य लावणी के संगीत पर होली का गीत ‘रंग भरी न मारो पिचकारी गाकर मस्ती का शुमार कर दिया, वहीं रसिया गीत ‘आज बिरज में होली रे रसिया…’ पर श्रोता झूमने लगे।

देश—विदेश में मशहूर क्लासिकल सिंगर सुभद्रा देसाई ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती सूक्त के उच्चारण से की। इसके बाद शास्त्रीय संगीत और होली की संगत शुरू हुई तो श्रोता झूम उठे। उन्होंने होली की बंदिश ‘बसंत में आयल हो रितुराज’ से तमाम शामियान को सम्मोहित कर दिया। उन्होंने राग सोहनी में द्रुत ख्याल रंग ना डारो श्याम… पेश कर सभी का मन मोह लिया। उन्होंने राग अड़ाना में चतुरंग की प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी पेशकश होरी खेलत नंदलाल… पर खूब तालियां बजी। इसके बाद राग काफी में आज निज घर बीच फाग मचई हों… पेश कर अपनी सधी गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में उन्होंने तराना की प्रस्तुति दी।
ख्यातनाम गायिका विद्या शाह ने भक्ति के अंग में भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी। उन्होंने मीरां, कबीर और सूरदास के भजनों से माहौल भक्तिमय बना दिया।

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