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बीकानेर। दीपावली के त्योहार पर मिठाई का बड़ा बाजार सज गया है। आमजन के स्वास्थ्य को ताक में रखकर मिठाइयों को आकर्षक बनाने के लिए बिना मापदंड के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह भी घटिया स्तर का। चिकित्सकों की मानें तो रंग-बिरंगी मिठाई का सेवन किडनी, लीवर के लिए बेहद खतरनाक है। घटिया कलर की मिठाइयों का सेवन करने से किडनी-लीवर को जंग लगने लगता है।
स्टाफ व संसाधनों का अभाव का रोना
शहर से गांवों तक रंग-बिरंगी मिठाइयों की बिक्री जोरों पर है। दुकानों में मिलावटी मावे, घटिया क्वालिटी के बेसन व मैदे से मिठाइयां तैयार कर बेची जा रही है। दुकानों में मिठाइयों का स्तर कैसा है, इसकी जानकारी होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग आंखें मूंद कर बैठा हुआ है। स्टाफ व संसाधानों के अभाव का रोना रोकर विभाग हर बार अपनी जिम्मेदारियों से कन्नी काट लेता है। विभाग की इसी कमजोरी का मिलावटखोर फायदा उठाकर आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

इन रंगों से सेहत पर पड़ता असर
हलवाई का काम करने वाले रसोइये से मिठाइयों में डाले वाले रंग के बारे में पड़ताल की तो कई चौकान्ने वाले तथ्य सामने आए। रसोइये के मुताबिक मिठाई को पीला रंग देने के लिए हल्का पीला कलर मिलाया जाता है। चिकित्सक के मुताबिक इसके सेवन से बच्चों की लंबाई बढऩे की प्रक्रिया रुक जाती है। लीवर व किडनी को नुकसान पहुंचाता है।

रसोइया बताता है कि लड्डृू व जलेबी बनाने के लिए मैदा व बेसन में गहरा पीला कलर मिलाया जाता है। चिकित्सक कहते हैं कि पेट, किडनी व लीवर के लिए नुकसानदायक है। शरीर में एलर्जी व यूरिन संक्रमण भी हो जाता है।
– हलवाई के अनुसार मिठाइयों व अन्य खाद्य पदार्थों को आकर्षक व चमकीला बनाने के लिए हाइड्रो, लिक्विड ग्लूकोज का इस्तेमाल किया जाता है। चिकित्सक के अनुसार इसके सेवन से शरीर की लाल रक्त कणिकाओं को नुकसान पहुंचता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

हलवाई बताता है कि मिठाइयों को गहरा व पीला रंग देने के लिए लेड क्रोमोट मिलाया जाता है। चिकित्सक कहते हैं कि इसके सेवन से फूड पॉइजनिंग, पेट दर्द, सिर दर्द व अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती है।
इन मिठाइयों में उपयोग होता है कलर ज्यादा
जलेबी, मोतीपाक, लड्डू,, दिलखुशाल, बेसन चक्की, गुलाब जामुन, कतली, खुरमाणी, राजभोग, रसमलाई, चमचम, अंगुरी, बूंदी में रंग का उपयोग किया जाता है।

इनका कहना है…
मिठाई में रंग के इस्तेमाल करने से किडनी व लीवर पर ज्यादा असर पड़ता है। मिठाइयों में डाले जाने वाले रसायनिक रंग से गैस, अल्सर, फूड पॉइजनिंग जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं।

डॉ. सुशील फलोदिया, प्रोफेसर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग पीबीएम अस्पताल

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