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बीकानेर,पिछले दिनों पंचायत राज्य मंत्री रमेश चन्द्र मीणा बीकानेर में दो दिन के ऑफिशियली दौरे पर आए थे, बीकानेर शहर में राजस्थान सरकार की पंचायतों के कार्यों के सम्बंध में एक मीटिंग रखी गई, जिसमें बीकानेर के जिलाधीश भगवती प्रसाद कलाल, जिला प्रमुख, पूर्व गृह मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल, राजस्थान भूदान आंदोलन बोर्ड के अध्यक्ष लक्षमण कड़वासरा और दिगर अधिकारी शामिल हुए। मीटिंग के दौरान ही जब मंत्री महोदय सरकार की योजना बता रहे थे तब बीकानेर जिलाधीश श्री भगवती प्रसाद कलाल अपने मोबाइल से किसी से बात कर रहे थे, निश्चित रूप से मंत्री को यह नागवार गुजरेगा।
मंत्री जी ने जिलाधीश को चलती मीटिंग में मोबाइल से बात करने पर टोकते हुए कहा कि यदि आपको मोबाइल से बात करना ही जरूरी है तो बाहर जा कर बात करें, इस पर जिलाधीश महोदय मीटिंग से उठ कर बाहर निकल गए ?
इस बात का बतंगड़ बना दिया गया ? चूंकि जिलाधीश यू आई टी के चैयरमैन भी हैं, इसलिए यू आई टी के स्टॉफ ने भी जिलाधीश के पक्ष में विरोध प्रदर्शन किया, काली पट्टी बांध कर अपना विरोध जाहिर किया, आईएएस लॉबी ने जयपुर में चीफ़ सेक्रेट्री को ज्ञापन देकर मंत्री मीणा को बरखास्त करने की मांग कर दी। सारे अधिकारी लामबंद होकर ज़िद पे अड़े हैं कि मंत्री रमेश चन्द्र मीणा को हटाया जाए ?
कुछ सवालात जनता के जेहन में उठ रहे हैं जिनका जवाब बीकानेर जिलाधीश और आईएएस लॉबी को प्रदेश की पब्लिक को देना होगा ?
अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर में किसी मरीज़ के ऑपरेशन के वक्त सर्जन के सहायक स्टॉफ द्वारा मोबाइल से बात करने को क्या जायज़ कहा जायेगा ?
आर्मी में कमांडर द्वारा कमांडिंग ऑर्डर देते समय किसी मातहत सूबेदार द्वारा अपने मोबाइल फोन से बात करने को क्या उचित कहा जायेगा?
क्या जिलाधीश बीकानेर श्री भगवती प्रसाद कलाल अपने ऑफिस में अपने मातहत अधिकारयों के साथ की जाने वाली ऑफिशियली मीटिंग में सभी को चलती मीटिंग में बात करने की इजाज़त देते हैं ?
बीकानेर की आई जी ऑफिस के बाहर लिखा हुआ है कि आई जी के कमरे में मोबाइल ले जाना वर्जित है ? कमोवेस यही संभागीय आयुक्त, पुलिस अधीक्षक, स्वयम जिलाधीश के चैंबर में जाते हुए आम पब्लिक के लिए इंस्ट्रक्शन जारी किए हुए हैं ?
सभी अदालतों, उच्च न्यायालय में भी कोई वकील भी अपने मोबाइल से बात नहीं कर सकता है, उनके मोबाइल जब्त कर लिए जाते हैं ? फिर जिलाधीश श्री भगवती प्रसाद कलाल साहब को यदि मंत्री जी ने मीटिंग में मोबाइल फोन से बात करने पर टोक दिया गया तो हंगामा किस बात का हो गया ? समझ से परे है कि इतने पढ़े लिखे अधिकारी अनुशासनहीनता को जायज़ कैसे ठहरा रहे हैं और गलत बात को सही ठहराने की वकालत क्यों कर रहे हैं ?
क्या राजस्थान की कांग्रेस सरकार इतनी कमज़ोर हो चुकी है कि अधिकारीयों की नाजायज मांगों के आगे नतमस्तक होकर जनता के वोटों से जीत कर आए जनप्रतिनिधि को बेइज्जत कर मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देगी ?
फ़ैसला जनता के हाथ में है ?
हमें जिलाधीश महोदय से व्यक्तिगत रूप से कोई गिला शिकवा नहीं है लेकिन उनसे यह उम्मीद नहीं की जाती है कि किसी अनुशासनहीनता के कृत्य को उचित ठहराए जाने को हवा दी जायेगी ?
राजस्थान के मुख्य मंत्री की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं?

उनके लिए एक शेर है :-
” तू इधर उधर की बात ना कर,
ये बता कि काफ़िला क्यूं लुटा,
हमें रहजनी से गरज नहीं,
तेरी रहबरी का सवाल है ?”
हम शर्मनाक घटना को कतई उचित नहीं मानते और इसकी निंदा करते हैं।

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