बीकानेर,लालगढ़ ओवर ब्रिज का काम छह साल पहले शुरू हुआ था। बीच में ठेकदार ने काम बंद कर दिया। क्या कारण रहे होंगे खोजने की जरूरत नहीं है। बाद में मामला अदालत में चला गया। अदालत ने लालगढ़ ओवर ब्रिज का पुन: टेंडर करने का आदेश दिया बताया जा रहा है। टेंडर तो होगा तब होगा जनता को इस अधूरे ओवर ब्रिज के चलते आने जाने में बहुत कठिनाई होती है। आए दिन दुपहिया चालक गिरते है। चोट जिसके लगती है उनके दर्द होता है जिम्मेदार अफसरों के तो जूं ही नहीं रेंगती। कलक्टर मैडम को तो पता भी नहीं है कि अधूरे ओवर ब्रिज ने जनता को बेहाल कर रखा है। अब सवाल यह है कि छह साल से ओवर ब्रिज निर्माण का मामला लटका क्यों है? कोन अधिकारी इसके जिम्मेदार है। ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। क्या यह जन जीवन से जुड़ा मामला नहीं है? जिम्मेदार अधिकारियों की कितनी सक्रियता रही? समाधान को कितनी प्राथमिकता दी गई ? मौके की स्थिति तो बताती है कि जिम्मेदार अधिकारी ने कभी आकर भी नहीं झांका। जनता भुगत रही है। नेताओं ने भी नहीं देखा कि जल्दी समाधान कैसे हो सकता है। आखिर समाधान कोन करेगा?छह साल आम रास्ते में अवरोध कितना तकलीफदेह है जो रोजाना भुगतते हैं वो ही जानते है। : ओवर फोर नेशनल के अगुवा सुधीश शर्मा ने बीकानेर जिला प्रशासन, बीकानेर रेल प्रशासन एवं बीकानेर के नेताओ से अपील की है कि – लालगढ़ रेलवे ओवरब्रिज आपके बस की बात नहीं है तो कृपया करके जो भी रास्ता वहाँ पर बचा हुआ है, उसको तो समतल करवा कर जनता का आवागमन कुछ तो सुगम करवा दें. रास्ते के गड्ढ़े हटाने से ही काफ़ी मदद हो जाएगी। ओवर फोर नेशनल की जिला कलक्टर से अपील है कि जब तक ओवर ब्रिज का काम शुरू नहीं होता तब तक यह रास्ता सुगम बनाया जाए। अवरोध हटाकर रास्ते को समतल करके यातायात की दृष्टि से सुगम बनाया जाए। जिला कलक्टर ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो जन सहयोग ट्रेक्टर और प्रो क्लेन महीन लगाकर रास्ते को सुगम बनाया जाएगा।
यह प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों के सेवाकाल में उनकी गैर जिम्मेदारी की पराकाष्ठा ही मानी जाएगी। उनके सेवाकाल की नजीर भी होगी। एक तो छह साल से निर्माण लटका पड़ा है दूसरे में आम रास्ते से जन जीवन बाधित है तिस पर समाधान जनता को ही करना पड़े? क्या इज्जत रहेगी जिम्मेदार अफसरों की? कलक्टर साहब मौका देखकर समाधान करवाओ ना। जनता आपको धन्यवाद देगी!