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बीकानेर, में यदि पर्यटन की बात करें तो जूनागढ़ का नाम सबसे पहले आता है और क्यों न आए, आखिर यह हमारी बीकानेर रियासत व इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसी ऐतिहासिक जूनागढ़ के आसपास तत्कालीन राजा-महाराजाओं की प्रतिमाएं लगी हुई है तथा पर्यटन नौकायान का लुत्फ उठाते थे। जीना मुश्किल हो जाएंगा, बल्कि किंतु सत्ता परिवर्तन के साथ ही किया। बता दें कि इन्दिरा गांधी को बढ़ावा देने तथा सौन्दर्यकरण की दृष्टि से सूरसागर के चारों और लाइटिंग,अन्दर रंग-बिरंगी रोशनी तथा जूनागढ़ के सामने सूरसागर के निकट पत्थरों की छत्तरी व हाल ही में म्हारो प्यारो बीकाणा सेल्फी पोइंट भी बनाया गया है, किंतु ऐतिहासिक सूरसागर की बात करें तो उसके हाल बेहाल है। जहां पिछली सरकार के कार्यकाल में पानी से लबालब सूरसागर में पर्यटक उसी ऐतिहासिक सूरसागर में सरकार व प्रशासन की लापरवाही व अनदेखी के कारण गंदगी बढ़ती चली जा रही है। आलम ये है कि सूरसागर के तले में लगे पानी में हरी-हरी काई स्पष्ट नजर आ रही है। समय रहते यदि प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले गर्मी के मौसम में यहीं पर पनपने वाले मच्छरों की वजह से न केवल इसके आसपास रहने वालों का ऐतिहासिक धरोहर ही खतरे में आ जाएंगी। सिर्फ और सिर्फ राजनीति का चश्मा बता दें कि यह वहीं ऐतिहासिक सूरसागर है। जो कि बीकानेर के लिए नासूर बना हुआ था, किंतु तत्कालीन भाजपा सरकार व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की इच्छा शक्ति के चलते इस सूरसागर की कायाकल्प हुई थी। यही नहीं भाजपा के कार्यकाल में कभी सूरसागर खाली नहीं रहा था। प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार इस मामले को राजनीति के चश्मे से देख रही है। यही कारण है कि साढ़े तीन साल में एक बार भी सूरसागर पानी से लबालब नहीं हुआ है। इस सरकार व सरकार के नुमाइंदों ने बार-बार सौन्दर्यकरण जहां पैसा खर्च होता है। उस ओर तो ध्यान दिया, किंतु सूरसागर को साफ सफाई तथा इसको नहरी पानी से भरने का कभी प्रयास नहीं नहर में सूरसागर के हिस्से का पानी आरक्षित रहता है।

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