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बीकानेर,मुख्यमंत्री बीकानेर आ रहे हैं। उनको रानी बाजार अंडरब्रिज के नीचे से काफिले समेत निकलना चाहिए। इससे पत्ता चलेगा कि अंडरब्रिज कितना सही या गलत बना है? बीकानेर कलक्टर की संवेदनशीलता देशनोक हादसे के दौरान सामने आई।वे देशनोक ओवरब्रिज की डिजाइन की जांच करवाएगी। कलक्टर साहब लगते हाथ रानी बाजार अंडरब्रिज के डिजाइन की भी जांच करवा लें और तकनीकी खामी में सुधार कर लें, तभी संभावित दुर्घटना से बचा जा सकता है। बीकानेर में सड़क सुरक्षा समिति तब जागी है जब देशनोक ओवरब्रिज पर दर्दनाक हादसा हुआ। नोखा के छह जवान बेटों की मौत हो गई। देशनोक ओवरब्रिज पर हुए हादसे ने सब को झकझोर दिया है । जिला कलक्टर ने ओवरब्रिज डिजाइन जांच करवाने का निर्णय किया है। सवाल यह है कि डिजाइन बनाते समय क्यों नहीं जांची गई। लाखों रुपए तनख्वाह लेने वाले इंजीनियर, समीक्षा और निगरानी करने वाले अफसर कहां गए थे। इंजीनियरों की फौज आखिर करती क्या है? यह बात प्रथम दृष्टया सही है कि देशनोक ओवरब्रिज बनाते समय सुपर एलिवेशन ठीक से नहीं बनाया गया है। कलक्टर साहब यही हालत बीकानेर शहर में रानी बाजार के अण्डर ब्रिज की है। अंडरब्रिज का सुपर एलिवेशन, यहां तक की वास्तविक नक्शा ताक पर रखकर अंडरब्रिज बना है। जांच करवाएंगे तो सच सामने आ जाएगा। सड़क सुरक्षा समिति रानी बाजार अण्डरब्रिज कोई हादसे का कारण नहीं बने इससे पहले ही तकनीक खामी दूर कर दें तो समिति के होने का कोई अर्थ है। जस्सूसर से फड बाजार की तरफ आने वाले पुल के रास्ते में ब्लाइँड मोड है। कोई संकेतक या सुरक्षा उपाय नहीं है। पहले भी कुछ यहां दुर्घटनाएं हुई है। बीकानेर शहर और जिले में सड़कों पर चलते समय विजिलेंस नहीं होने की स्थिति में सुरक्षा और संकेत दोनों का काफी जगह अभाव है। मोड, खस्ताहाल सड़कें, बनावट में तकनीकी खामियां दुर्घटना का कारण बनती है। कायदे से सड़क सुरक्षा समिति की माह में एक बार और हिट एंड रन कमेटी की पाक्षिक बैठक होनी होती है। जिला कलक्टर साहिबा ने अभी तक हिट एँड रन कमेटी की एक भी बैठक नहीं की है। हिट एंड रन कमेटी की मीटिंग क्यों नहीं हो रही है, जबकि जिला कलक्टर तो जन समस्याओं के प्रति अति संवेदनशील है! दुर्घटना सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में अभी तक जितने सुझाव आएं है उनका विश्लेषण करें तो पाएंगे कि बैठक मात्र औपचिरकता ही है। सवाल यह है कि सड़कें, ओवरब्रिज, अण्डरब्रिज बनाते समय हमारे इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ कहां चले जाते हैं? बनाने के तय मानक, निगरानी क्यों ठेकेदार के भरोसे छोड़ दी जाती है।
बीकानेर जिले में कितने ब्लाइंड मोड है जिनमें संकेतक नहीं लगे हैं। जहां सड़कें तकनीकी रूप से सही नहीं है। सड़क, पुल निर्माण में तकनीकी खामिया रह जाती है वो नए नए एक्सीडेंट जोन बन जाते हैं। जिन पर सड़क सुरक्षा समिति कितना ध्यान देती है? सर्विस लेन और राइट ऑफ वे के क्या हाल है? इन पर हुए अतिक्रमण दुर्घटना के कारण बन सकते है। राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ने वाली सड़कों पर गतिरोधक लगाने, रंबल स्ट्रिप लगाने और सड़क, डिवाइडर के मरम्मत का काम शीघ्र करना चाहिए। ये सारे काम सीएम के बीकानेर दौरे से पहले करवा दिए जाए अन्यथा ये सीएम के ध्यान में आएंगे ही। नहीं तो फिर कलक्टर की संवेदनशीलता पर सवाल उठेगा ही।

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