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बीकानेर,जिला कांग्रेस कमेटी (देहात)संगठन महामन्त्री मार्शल प्रहलाद सिंह ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर बीकानेर जिला कलेक्ट्रेट,तहसील एवं नगर विकास न्यास कार्यालय में आजादी पूर्व एवं पश्चात के भू अभिलेख, राजस्व,एवं विभिन्न न्यायालयों के फैसलों के बस्तों में पड़े रिकार्ड का कंप्यूटरिकरण और डिजिटलाइजेशन करवाने की मांग की है।

मार्शल ने पत्र में लिखा है कि आपके कार्यालय,तहसील व नगर विकास न्यास कार्यालय में विभिन्न प्रकार के आजादीपूर्व तथा पश्चात के ऐतिहासिक दस्तावेजों सहित विभिन्न न्यायालयों में राजस्थान राज्य अभिलेखागार से तलब किए गए दस्तावेजों के बस्ते,उनमें तत्कालीन समय में न्यायालयों द्वारा दिए गए फैसलों की फाइलें,पट्टाअभिलेख, राजस्व व ग्रामीण अंचल के मन्दिर व गौचर भूअभिलेख इत्यादि बड़ी तादाद में अभिलेख दस्तावेज मौजूद है।
इनमें खास बात यह है कि राजस्थान राज्य अभिलेखागार से तत्कालीन समय में न्यायालय द्वारा तालब रिकॉर्ड के दस्तावेज बस्ते जो कि वापिस मूल विभाग में भेजे जाने चाहिए थे,लेकिन वापस जमा नहीं होने से उनमें ऐतिहासिक मुगलकालीन अंग्रेजीकालीन दस्तावेज भी बेतरतीब और खुले में पड़े देखे गए हैं।
इसके अलावा न्यायालयों के 1948 से आगे के फैसलों के बस्ते जिनमें काफी लोगों के घरेलू पट्टे, वसीयतें और संबंधित अन्य अहम दस्तावेज जिनके बस्तों पर कुछ भी लिखा हुआ नहीं है तथा किस बस्ते में क्या है? बस्ता खोलकर देखने से ही पता चल सकता है!!!!
जिससे रिकॉर्ड अनुपलब्धता के कारण काफी लोगों का सामाजिक जीवन प्रभावित हुआ है और हो रहा है।
काफी दस्तावेज तो खुले में अस्त-व्यस्त रखे हुए हैं यह भी गौरतलब है कि विभिन्न कमरों व गैलरीज सहित अलमारियों में भी दस्तावेज भरे पड़े हैं तथा उनमें क्या-क्या और कब-कब के दस्तावेज पड़े हुए हैं? किसी को कुछ भी पता नहीं।
इन दस्तावेजों की नकल लेने के लिए सैकड़ो लोग वर्षों से परेशान हो रहे हैं,लेकिन उनको नकल नहीं मिलती। दूसरे यह है कि पुराने कर्मचारी जो कभी रिकॉर्ड शाखा से रिटायर हो चुके हैं,नकल लेने के लिए अनाधिकृत रूप से दस्तावेज ढूंढने के लिए उनकी मदद लेनी पड़ती है।नए स्टाफ को कुछ भी पता नहीं है।
कलेक्ट्रेट के समस्त कमरों में पड़े रिकॉर्ड को सूचीबद्ध करके बस्तों व आलमारियों पर लिखा जावे कि किस बस्ते या आलमारी में क्या रिकॉर्ड है?
दूसरा यह कि गैलरी और विभिन्न कमरों में बेतरतीब पड़े रिकॉर्ड को एक स्थान पर शिफ्ट कर उसको भी सूचीबद्ध किया जावे।
विभिन्न अलमारी में रखे रिकॉर्ड को भी सूचीबद्ध व एक स्थान पर करने के बाद यदि उक्त रिकॉर्ड का कंप्यूटराइजेशन या डिजिटलाइजेशन करवा देंगे तो रिकॉर्ड को सुरक्षित होगा ही साथ ही सैकड़ो लोगों की समस्या दूर होगी और यदि डिजिटाइजेशन के बजट की व्यवस्था नहीं हो प्रत्येक बस्ते को सूचीबद्ध कर रजिस्टर में इंद्राज किया जावे।अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन दुलीचन्द मीणा ने भी मार्शल के साथ जाकर रिकार्ड का अवलोकन किया।

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