बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वी, बीकानेर मूल की, विचक्षण ज्योति, प्रवर्तिनी चन्द्रप्रभा के 71 वें संयम दिवस पर शनिवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में साध्वीश्री चंदनबाला आदि ठाणा के सान्न्धि्य में बड़ी संख्या में श्रावक‘-श्राविकाओं ने सामायिक यानि साधु-साध्वीश्री साधना की।
साध्वीश्री चंदन बाला ने देव, गुरु चन्द्रप्रभाजी म.सा., धर्म की वंदना मंत्र ’’विरती धर्म ने नमो नमः, संयम धर्म ने नमो नमः,चारित्र धर्म ने नमो नमः, वंदन हो गुरुराज ने’’ व दोहा ’’ लाख खंडी सोनातणी, लाख वर्ष दे दान। सामायिक तुल्य नहीं, कहा ग्रंथ दरम्यान।। यानि एक आत्मा प्रतिदिन लाख मुद्राओं का दान करती ह,ै और दूसरी मात्र दो घड़ी की शुद्ध सामायिक करती है, तो वह स्वर्ण मुद्राओं का दान करने वाली की समानता नहीं कर सकती। आर्त और रुद्र ध्यान को त्यागकर संपूर्ण सावद्य (पापमय) क्रियाओं से निवृत होना और एक मुहूर्त पर्यन्त मनोवृत्ति को समभाव रखना सामायिक व्रत है।
उन्होंने कहा कि सामयिक मन को स्थिर रखने की अपूर्व किया है, आत्मिक शांति प्राप्त करने का संकल्प है, परम पद पाने का सरल व सुखद मार्ग है। अखंडानंद प्राप्त करने का गुप्त मंत्र है, दुख समुद्र से तैरने का श्रेष्ठ जहाज है। अनेक कर्मों से मलिन हुई आत्मा को परमात्मा बनाने का सामर्थ्य सामयिक क्रिया में ही है। यह क्रिया करने से आत्मा में रहे दुर्गण नष्ट होकर, सद्गुण प्राप्त होते है और परम शांति का अनुभव होता है।
साध्वीजी ने कहा कि सामायिक धार्मिक-आध्यात्मिक व्यायामशाला के समान है, जिसमें आत्म भाव व्यायाम करने, अपने सद््गुणों को पुष्ट करता है। सामायिक साधुत्व का पूर्व अभ्यास है। आत्मा को परमात्म स्वरूप् में रूपान्तरण की प्रक्रिया साधुत्व है। सामायिक से धार्मिक गुणों का विकास होता है, क्योंकि उसमें अशुभ तथा अशुद्ध क्रियाओं के वर्जन और शुद्ध क्रियाओं के सेवन का शिक्षण व अभ्यास किया जाता है। इस अवसर पर विचक्षण महिला मंडल व अनेक श्राविकाओं ने भक्ति गीत व सामायिक के गीत प्रस्तुत किए। सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, भीखम चंद बरड़िया व निर्मल पारख ने साध्वीश्री चन्द्र प्रभा म.सा. की साधना, आराधना व भक्ति का स्मरण करते हुए वंदन किया।