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सीकर.भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस ने भी अपने गढ़ में पहली बार महिला के हाथ पार्टी की कमान सौंपी है। खास संयोग यह है कि नव नियुक्त कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुनीता गिठाला और भाजपा जिलाध्यक्ष इंदिरा चौधरी एक ही परिवार से हैं।

पारिवारिक रिश्ते में इंदिरा चौधरी कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुनीता गिठाला की सास लगती हैं। दोनों जिला परिषद में आमने-सामने चुनाव भी लड़ चुकी हैं। दोनों दलों में पहली बार महिला जिलाध्यक्ष नियुक्त हुई
हैं। गिठाला कांग्रेस बोर्ड में जिला परिषद सदस्य रही हैं। वे जिला कांग्रेस में जिला सचिव व जिला उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। जबकि महिला कांग्रेस में जिला सचिव प्रदेश महासचिव व प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुकी है।

अनुभव: संगठन से लम्बा जुड़ाव

संगठन की बैठकों से लेकर आंदोलनों में सुनीता की उपस्थिति की मिसाल दी जाती है। साधारण कार्यकर्ता से लेकर विभिन्न मोर्चों में जिम्मेदारी संभालने का भी अनुभव है।

तालमेलः सभी से बेहतर संवाद

रायशुमारी में कई और नाम भी सामने आए थे। सुनीता नाम पर इसलिए मुहर लगी कि दिग्गजों के साथ यूथ और महिलाओं से भी उनका बेहतर तालमेल है।

संघर्ष: जुझारू नेता की जरूरत

धोद में माकपा और भाजपा
के बीच कांग्रेस का झंडा उठाने वाली टीम में सुनीता शामिल रहीं। इसका फायदा पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिला।

कार्यशैली: डोटासरा का विश्वास

पीसीसी अध्यक्ष जब सीकर जिलाध्यक्ष थे, उस दौरान गिठाला भी जिला कार्यकारिणी में जिला सचिव थीं। वे भी उनकी कार्यशैली को जानते हैं।

सर्वमान्यः नारायणसिंह व मोरदिया दिला चुके टिकट

गिठाला को सबसे पहले जिला परिषद सदस्य का टिकट पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह ने दिलाया था। इसके बाद धोद विधायक परसराम मोरदिया ने इस बार

प्रतिद्वंद्वी:भाजपा के सामने बनाया चेहरा

भारतीय जनता पार्टी में इन्हीं के परिवार से जिलाध्यक्ष है। ऐसे में कांग्रेस ने भाजपा की काट के • लिए गिठाला परिवार पर भरोसा जताया है।

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