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बीकानेर, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के प्रथम दिन सोमवार को जिलेभर में स्वास्थ्य केन्द्रों, सरकारी-निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, मदरसों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों को कृमि नाशक दवा एल्बेंडाजोल खिलाई गई। 1 से 2 वर्ष आयु के बच्चों को 400 मिलीग्राम की आधी गोली और 2 से 19 वर्ष तक के बच्चों-किशोरों को पूरी एक गोली खाने को दी गई। कार्यक्रमों के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल को भी प्रभावी रखा गया। कार्यक्रम 30 अक्टूबर तक चलेगा। जिले में लगभग 9 लाख बच्चों को डीवर्मिंग गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। जिला मुख्यालय से लेकर ग्राम स्तर तक आयोजित कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों व चिकित्सकों ने भाग लिया और बच्चों को गोली खाने को प्रेरित किया।

कार्यवाहक सीएमएचओ डॉ ओ. पी. चाहर ने यूपीएचसी न. 1 अणचा अस्पताल में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में मौके पर बच्चों को खिला कर अभियान का उद्घाटन किया। पोषण, स्वास्थ्य व स्वच्छता विषय पर चर्चा कर हाथ धोने के सही तरीके का प्रदर्शन किया गया। डॉ चाहर ने गोली के फायदे बताने के साथ ही बच्चों को स्वच्छता से स्वास्थ्य का सन्देश देते हुए कहा कि यदि पूरा समाज व स्वयं बच्चें स्वच्छता को जीवन के सबसे जरूरी कार्य की तरह अपना लें तो निश्चय ही पेट के कीडे़ जैसी समस्या हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएगी। यूपीचसी प्रभारी डॉ एम. अबरार पंवार ने कहा कि शरीर में कृमि संक्रमण से शरीर और दिमाग का सम्पूर्ण विकास नही होता और हमेशा थकावट लगती रहती है। इसलिए ध्यान रहे कि एक भी बच्चा गोली खाने से ना छूटे। कुपोषण से बचाव के लिए सभी बच्चों-किशोरों को ये गोली जरूर खानी चाहिए। डॉ मुकेश जनागल ने बताया कि कृमि संकमण से बचाव के लिये खुली जगह में शौच नहीं करना चाहिए, खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए और फलों और सब्जियों को खाने पहले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। नाखून साफ व छोटे रहें, साफ पानी पिएँ, खाना ढक कर रखें और नंगे पाँव बाहर ना खेलें, जूते पहन कर रखें। इस अवसर पर जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य, एएसओ नवनीत आचार्य, पीएचएम रोहित शर्मा आदि उपस्थित रहे।
इसी प्रकार डॉ अनिल वर्मा, एनयूएचएम सलाहकार नेहा शेखावत व प्रभारी डॉ बिन्दुबाला गर्ग द्वारा यूपीएचसी न. 5 में कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। खंड कोलायत व नोखा में कार्यक्रम को लेकर उत्साह चरम पर रहा। ब्लॉक सीएमओ डॉ सुनील जैन व डॉ श्याम बजाज के नेतृत्व में पहले ही दिन अधिकाधिक बच्चों को दवा खिलाने का प्रयास किया गया।

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