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बीकानेर,खाजूवाला में तो पुलिस की साख बिगड़ी ही है। नोखा से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पुलिस महानिदेशक और पुलिस अधीक्षक बीकानेर को 20.5. 2023 को शिकायत भेजी गईं कि चोरी का सामान पुलिस बरामद करके रिकार्ड में दर्ज नहीं करती और बीच में डकार जाती है। यह लिखित शिकायत नोखा के हनुमान मल भंसाली ने दी थी। उनके यहां 28.6.2020 को 11 लाख की चोरी हुई थी। मुकदमा नंबर 0224/2020 दर्ज हुआ। इसमें चोर पकड़े गए। मांल बरामद कर लिया, परंतु कागजों में नहीं दिखाया। खारा के हस राज विश्नोई के चोरी का मुकदमा 456/2020 में चोरी का सामान भी बरामद कर लिया। हंस राज ने जेल में चोरों से मिलकर तथ्यों का पत्ता लगाया कि चोरों ने सारा माल जोधपुर में सुनारों को बेच दिया। माल बरामद करने सिपाही गया उसकी रिकार्डिंग है। पुलिस ने हंस राज को 4 लाख 55 हजार दे दिए। बाकी माल बरामद होना नहीं बताया। ऐसी कई फाइलें अदमपता में पड़ी है। चोर की सीसीटीवी कैमरा की सी डी बनाकर थानेदार की दी इसके बावजूद भी चोर को छोड़ दिया गया। इस चोर की 13 चोरियां पकड़ी गई। सभी प्रभावित लोग इकट्ठे हुए। अब मामला सीएम को निष्पक्ष जांच के लिए भेजा गया है। इस से पहले पुलिस महानिदेशक और पुलिस अधीक्षक को भेजी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह पुलिस के खिलाफ चोरी के मामलों में गंभीर प्रकृति की शिकायत है। शिकायत की जांच नहीं होने के कई अर्थ हो सकते हैं। क्या पुलिस ऊपर से नीचे तक चोरों से मिली हुई है? ऐसा नहीं है तो शिकायतों से पुलिस की छवि क्यों खराब होने दी जा रही है। पुलिस के प्रति जन विश्वास टूटना व्यवस्था के लिए कितना चिंताजनक है। ऐसी शिकायतों की तुरंत जांच से पुलिस की बेवजह छवि खराब होने से बचती है। पुलिस की साख से सरकार की साख जुड़ी हुई है। मुख्यमंत्री जी ऐसी शिकायतों से सुशासन के सरकार के दावे पर सवाल ही नहीं उठता बल्कि जनता का विश्वास भी टूटता है। महानिदेशक और अधीक्षक को की गई शिकायते के मायनों को समझो। आंख मूंद के बैठने के परिणाम व्यवस्था, जनता और सरकार को भुगतने पड़ते हैं। शिकायत की निष्पक्ष जांच में ही सबका भला है।

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