बीकानेर,राजस्थान में कई शहर हैं, जिन्हें जिला घोषित करने की मांग हो रही है. गहलोत सरकार पर पहले ही 6 नए जिला बनाने का दबाव है. अब बहरोड़ विधायक बलजीत यादव ने भी सरकार को अल्टीमेटम दिया है.राजस्थान की गहलोत सरकार के लिए नए जिलों की मांग ने संकट में डाल दिया है. आए दिन कोई न कोई गहलोत का ख़ास विधायक या मंत्री नए जिले की मांग कर रहा है. इसके साथ ही साथ सीएम गहलोत को उनके ही विधायक चेतावनी देने लगे हैं. बीते मंगलवार को बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने जिला बनाने की मांग पर अपने तेवर दिखाए. उन्होंने सरकार को दो टूक में कह दिया है कि अगर बहरोड़ को जिला नहीं घोषित नहीं किया गया तो वह कांग्रेस सरकार की बैंड बजा देंगे.
बलजीत यादव ने कहा कि वह इससे पहले भी सीएम अशोक गहलोत को बता चुके हैं. अब तक कांग्रेस सरकार के साथ रहे, केवल विधानसभा क्षेत्र में विकास के काम कराने की मजबूरी थी. लेकिन बहरोड़ जिला नहीं बना तो वह चुप नहीं बैठने वाले हैं. इतना ही नहीं, अभी दो दिन पहले मंत्री राजेंद्र यादव ने कोटपूतली को दिसंबर तक जिला बनाने का अल्टीमेटम दे डाला है. ऐसे ही प्रदेश में कई और जगहों पर भी जिला बनाने की मांग जारी है. रोचक बात यह है कि ज्यादातर इसमें गहलोत के अपने करीबी विधायक और मंत्री ही हैं, जो उनसे नाराज नजर आ रहे हैं. अब गहलोत के अपने ही उन्हें तेवर दिखा रहे हैं.बहरोड़ को जिला बनाने की मांग के पीछे यह है वजह
बहरोड़ को जिला बनाने की मांग के पीछे बड़ी वजह यह है कि यहां छोटी और बड़ी मिलाकर 25 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं. बानसूर, बहरोड़, भिवाड़ी और नीमराणा के लोगों को सरकारी कार्यों के लिए अलवर जाना होता है. अलवर शहर से इन विधानसभाओं की दूरी लगभग 70 से 80 किलोमीटर दूर है. इसलिए लंबे समय से भिवाड़ी, बहरोड़, नीमराना में से कोई एक जिला बनाने की मांग चल रही है.
इन्हें बनाया जा सकता है जिला
वहीं, प्रदेश में कई शहरों को जिला बनाने की मांग उठ रही है. लेकिन, कुछ ऐसे शहर जिन्हें जिले के रूप में घोषित करने की तैयारी बताई जा रही है, उनमें कोटपूतली, बालोतरा, फलोदी, डीडवाना, ब्यावर, भिवाड़ी के नाम सबसे आगे हैं. पिछले दिनों कोटपूतली के विधायक राजेंद्र यादव ने माहौल भी गर्म कर दिया था. ऐसे में अब गहलोत सरकार के लिए अलग-अलग स्थानों से जिले बनाने की मांग ने संकट खड़ा कर दिया है.
इन्हें जिला बनाने की हो रही मांग
राजस्थान में समय-समय पर कई शहरों के नाम जिला बनाने की मांग में शामिल हो जाते हैं. जयपुर के सांभरलेक, शाहपुरा, फुलेरा, कोटपूतली, दूदू, विराटनगर, सीकर के नीम का थाना, फतेहपुर, शेखावाटी, श्रीमाधोपुर, खंडेला, झुंझुनू का उदयपुरवाटी, अलवर के बहरोड़, खैरथल, भिवानी, नीमराणा, बाड़मेर का बालोतरा और गुडामालानी, जैसलमेर का पोकरण, अजमेर का ब्यावर, केकड़ी, मदनगंज किशनगढ़, जोधपुर का फलोदी, नागौर के डीडवाना, कुचामन सिटी, मकराना, मेड़ता सिटी, चूरू के सुजानगढ़, रतनगढ़, सुजला क्षेत्र सुजानगढ़, जसवंतगढ़ और लाडनूं क्षेत्र को मिलाकर सुजला के नाम से जिला, श्रीगंगानगर के अनूपगढ़, सूरतगढ़, घड़साना, श्री विजयनगर, हनुमानगढ़ से नोहर, भादरा, बीकानेर का नोखा, कोटा का रामगंज मंडी, बारां का छाबड़ा, झालावाड़ का भवानीमंडी, भरतपुर का डीग, बयाना, कामां नगर और सवाई माधोपुर का गंगापुर सिटी का नाम जिला बनाने की मांग में शामिल हैं.14 साल बाद जिले की आस
साल 2008 में 26 जनवरी को प्रतापगढ़ को नया जिला बनाया था. इसके बाद से बस चर्चाएं हो रही हैं, कोई नया जिला घोषित नहीं किया गया. अब इन्हें जिला बनाकर अशोक गहलोत सरकार एक बड़ा संदेश देना चाहती है. बीजेपी सरकार ने नए जिलों के लिए 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी, जिसकी 2018 में रिपोर्ट आई, लेकिन नए जिलों पर कोई एलान नहीं हुआ. वहीं, इधर नए जिले बनाने के लिए कांग्रेस और समर्थक विधायक लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसके बाद से माना जा रहा है कि कुछ नया हो सकता है.