बीकानेर,जयपुर:न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार को लेकर की गई अपनी टिप्पणी की वजह से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बीजेपी इस मामले को लेकर जहां गहलोत पर ज़ुबानी हमले कर रही है, वहीं दूसरी तरफ़ ये मुद्दा अदालत की चौखट तक पहुंच चुका है. राजस्थान हाईकोर्ट ने शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही की मांग करने वाली जनहित याचिका पर कारण बताओ नोटिस जारी किया.
*तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश:*
बता दें न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की टिप्पणी के बाद स्थानीय वकील शिवचरण गुप्ता ने बीते गुरुवार को मुख्यमंत्री के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. इस पर न्यायमूर्ति एमएम श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शनिवार को मामले पर सुनवाई की. अदालत ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है. वहीं जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने तीन अक्तूबर को सुनवाई की तारीख तय की है.
*ज्यूडिशियरी को लेकर सीएम ने की थी ये टिप्पणी:*
उल्लेखनीय है कि बीते बुधवार को सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि आज ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है. मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं और कोर्ट के अंदर वही जजमेंट आता है. ज्यूडिशियरी के अंदर यह क्या हो रहा है? चाहे लोअर ज्यूडिशियरी हो या अपर, हर जगह यही हाल है. दश की हालात बेहद गंभीर हैं. इस बारे में देशवासियों को सोचना चाहिए. सीएम के इस बयान के विरोध में एडवोकेट एससी गुप्ता ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
*CM ने बाद में दी थी सफाई:*
हालांकि, बयान को लेकर तीखी आलोचनाओं का सामना करने के बाद, CM ने बाद में सफाई देते हुए कहा था कि कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं हैं. मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है. समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं एवं उस पर चिंता व्यक्त की है.
आगे कहा था, मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति हेतु हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है. मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा