बीकानेर,प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छठीं, सातवीं, नवीं और 11वीं कक्षा कापरीक्षा परिणाम सोमवार को जारी किया जाएगा लेकिन इससे पहले ही स्टूडेंट्स की मार्कशीट प्रिंट करना शिक्षकों के लिए परेशानी बन गया। पहली बार इन कक्षाओं का परीक्षा परिणाम शाला दर्पण पर ऑनलाइन तैयार किया गया है। पहली बार स्टूडेंट्स के अंक ऑनलाइन अपलोड किए गए हैं। ऐसे में शिक्षको को शाला दर्पण पोर्टल पर अंकतालिकाएं अलग अलग प्रिंट करनी पड़ रही हैं जिसमे समय अधिक लग रहा है। अंकतालिका के लिए जनरेट आल तथा प्रिंट आल का बटन नही होने से एक एक अंकतालिका को जनरेट व प्रिंट करने में अधिक समय लग रहा है। कई स्कूलों के पास कम्प्यूटर ही नहीं है ऐसे में शिक्षकों को मोबाइल से डेटा फीडिंग करना होता है ऐसे में गलती भी होती हैं, उस पर अनलॉक करने का अधिकार भी शिक्षकों के पास नहीं है। अनलॉक के लिए अधिकांश स्कूलों को सीबीईओ के पास जाना पड़ता है। अगर अनलॉक का अधिकार शिक्षकों के पास होता है तो समय कम लगेगा और काम आसानी से हो सकेगा।
निदेशक माध्यमिक शिक्षा को दिया ज्ञापन
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश अतिरिक्त महामंत्री रवि आचार्य ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा व शाला दर्पण प्रकोष्ठ प्रोग्राम ऑफिसर को ज्ञापन भेजकर स्टूूडेंट्स की मार्कशीट वेरिफाई करने के लिए वेरिफाई ऑल, जनरेट ऑल तथा अनलॉक करने के बटन जारी करने की मांग की है। जिससे हर बच्चे की अलग अलग अंकतालिका प्रिंट व संशोधन करने में अधिक लगने वाले समय से बचा जा सके।
देगी होगी पूरक परीक्षा
नवीं और 11वीं के ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी किसी विषय में सप्लीमेंट्री आई है उन्हें पूरक परीक्षा देनी होगी। वार्षिक परीक्षा में पहली से चौथी और छठीं व सातवीं कक्षा में स्टूडेंट्स को 100 में से प्राप्त अंकों के आधार पर ग्रेडिंग दी जाएगी।
5वीं और 8वीं बोर्ड की अंतिम परीक्षा 17 को
वहीं दूसरी ओर 5वीं और 8वीं बोर्ड की आखिरी परीक्षा मंगलवार को होगी। इसके साथ ही स्कूलों में शिक्षकों के लिए भी समर ब्रेक शुरू हो जाएगा। इसके बाद स्कूल 30 जून को खुलेंगे लेकिन शिक्षकों को 24 जून से ही स्कूल आना होगा जबकि स्टूडेंट्स 30 जून से स्कूल आएंगे। इस बार स्कूलों में समर ब्रेक 38 दिन ही होगा। हालांकि शिक्षकों ने इसे 45 दिन करने की मांग की थी।
जून में होगा प्रवेशोत्सव
शिक्षकों के जून में स्कूल आने के साथ ही प्रवेशोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। जिसके तहत नए शिक्षा सत्र में शिक्षकों को नामांकन का काम करना होगा। घर घर जाकर बच्चों को एडमिशन के लिए तैयार करना होगा। अभिभावकों को जागरुक करना होगा कि वह अपने बच्चे का एडमिशन स्कूल में करवाएं।