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बीकानेर/ साझी विरासत, बीकानेर के तत्वावधान में बिहारी पुरस्कार से सम्मानित डायरी विधा के विद्वान लेखक प्रोफेसर सत्यनारायण का गुरुवार को नागरिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन समारोह के मुख्य अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी थे तथा समारोह की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की। विशिष्ट अतिथि हिन्दी-राजस्थानी के साहित्यकार डॉ. मदन सैनी रहे।

प्रारंभ में वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने डॉ. सत्यनारायण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया की जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में विद्यार्थियों एवं प्रोफेसर्स के बीच लोकप्रिय डॉ. सत्यनारायण अपनी लेखनी एवं व्यवहार के कारण सर्वप्रिय रहे हैं।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र जोशी ने कहा की प्रोफेसर सत्यनारायण अपने पाठकों के बीच सदैव चर्चा का विषय रहते हैं, वह डायरी विधा के इकलौते ऐसे लेखक हैं जो नियमित डायरी के माध्यम से पाठको की स्मृति में रहते हैं, जोशी ने कहा कि प्रोफेसर सत्यनारायण द्वारा लिखित यायावरी की डायरी अपने आप में अनूठी एवं पठनीय है। उन्होंने कहा कि उनकी डायरी के माध्यम से प्रोफेसर सत्यनारायण के संपूर्ण जीवन दर्शन को समझा जा सकता है ।
मुख्य अतिथि डॉक्टर अजय जोशी ने कहा कि साहित्य में डायरी विधा ने विस्तार किया है, जोशी ने कहा कि डायरी विधा के माध्यम से रचनाकार सच्चाई का प्रमाण भी देते हैं, उन्होंने कहा कि राजस्थान के हिन्दी लेखको में प्रोफेसर सत्यनारायण डायरी विधा के सिरमौर है।
विशिष्ट अतिथि डॉ मदन सैनी ने कहा कि डायरी विधा कि एक लंबी परंपरा साहित्य में रही है, उन्होंने कहा कि रमेशचन्द्र शाह और सत्यनारायण डायरी लेखन में संजीदा लेखकीय परम्परा का निर्वहन करते है। वे सदैव सत्य का अन्वेषण करने वाले लेखक के रूप में पहचाने जाते हैं।
इस अवसर पर अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में प्रोफेसर सत्यनारायण ने कहा की डायरी वह विधा है जिसमें लेखक जिंदगी का लेखा-जोखा रखता है , उन्होंने कहा कि लेखक को समाज के साथ-साथ खुद की सच्चाई भी पाठकों के सामने रखनी चाहिए।
कार्यक्रम में पूर्व प्राचार्य शिक्षाविद हिन्दी की प्रोफेसर शालिनी मूलचंदानी का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर अतिथियों ने प्रोफेसर सत्यनारायण एवं शालिनी मूलचंदानी को शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह, साफा भेंटकर उनका अभिनंदन एवं सम्मान किया । कार्यक्रम में युवा शोधार्थी डॉ.नमामी शंकर आचार्य एवं लाखीणा गीतों की लेखिका पुष्पा देवी ने भी विचार रखें।

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