बीकानेर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने तीन साल गए है। इतने ही समय से नगर विकास न्यास में अध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी है। व्यवस्थागत जिला कलक्टर को।प्रशासक (अध्यक्ष) लगाया हुआ है लेकिन जनता के नुमाइदे के तौर पर ल्यास बोर्ड में कोई नहीं है। सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रहे, राजनीतिक हितों के चलते पांच साल में दो से ढाई साल ही अध्यक्ष दे पाते है। अभी कांग्रेस सरकार की ओर से या अध्यक्ष की राजनीतिक नियुक्तिका कई महीनों से इंतजार हो रहा है। ऐसे में पत्रिका ने बीकानेर में नगर विकास न्यास की स्थापना से लेकर अब तक मनोनीत न्यास अध्यक्षों के इतिहास को खंगाला।
अफसरों पर दिखाया ज्यादा भरोसा
जानकर चौंक जाएंगे कि 62 साल के नगर विकास न्यास में महज 19 साल ही किसी नेता या जनप्रतिनिधि कोका काम करने का अवसर मिला। शेष 43 साल अफसरों ने ही न्यास में राज किया है। पिछले कुछ सालों में रहे पार्टियों के प्रधान और सरकारों के मुखिया अपने दल के नेताओं से ज्यादा अफसरों पर भरोसा करते दिखते हैं। सरकार अंतिम दो साल में किसी को अध्यक्ष मनोनीत भी कर देती है, यह पूरी ताकत और विजन के साथ काम नहीं कर पाता। एक तो करीब तो छह महीने पहले पूरा सरकारी और राजनीतिक तंत्र चुनावी मोड में चला जाता है। पहले दो-तीन महीने नवनियुक्त अध्यक्ष को कार्यप्रणाली समझने में लग जाते हैं। कुल मिलाकर न्यास अध्यक्ष के पास शहर के सुनियोजित विकास और आगामी 20-30 साल के हिसाब से शहर की पैराफेरी में टाउनशिप विकसित करने के लिए कुछ महीनों का ही समय रहता है। जबकि न्यास को टाउनशिप बसाने की पूरी प्रकिया जमीन अधिग्रहण कर उस पर करने के लिए कम से कम दो साल चाहिए।
भवानी भाई रहे सर्वाधिक समय तक अध्यक्ष
नगर विकास न्यास के अध्यक्ष के रूप में भवानी शंकर शर्मा ने 12 जून 1981 को न्यास अध्यक्ष का दायित्व संभाला और ये 27 दिसंबर 1985 तक लगभग 54 महीनों तक न्यास अध्यक्ष रहे। वहीं रावतमल कोचर 35 महीने. द्वारकाप्रसाद पुरोहित 25 महीने महावीर राका 25 महीने तथा मकसूद अहमद 24 महीने तक अध्यक्ष रहे। दो साल से कम अवधि तक न्यास अध्यक्ष रहने वालों में मक्खन लाल जोशी, मंदर लाल कोठारी, श्रीगोपाल अग्रवाल, सौमचंद सिंघवी शामिल है।
19 साल में रहे 9 अध्यक्ष
नगर विकास न्यास में अब तक 9 अध्यक्ष मनोनीत रहे हैं। इन्होंने 19 साल का कार्यकाल किया है। फिलहाल 27 दिसम्बर 2018 से अध्यक्ष की कुर्सी खाली है। प्रशासनिक व्यवस्था के तहत सरकार ने जिला कलक्टर को अध्यक्ष को लेकर पिछले काफी अध्यक्ष के अधिकार ये रखे हैं। समय से चर्चाएं चल रही है। अध्यक्ष की नियुक्ति अप होनी है।