












बीकानेर,चूरू, राजस्थान संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षक संघ के रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय मदाऊ जयपुर में हुए प्रांतीय सम्मेलन में चूरू जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार सुण्डा ने शिक्षक की दशा और दिशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जापान में न्यायाधीश द्वारा शिक्षक का सम्मान किया जाता है, अमेरिका में प्राथमिक अध्यापक को नींव का निर्माता मानकर अधिक वेतन देकर सम्मान दिया जाता है, वहीं आचार्य देवो भव की संस्कृति वाले भारत में आज शिक्षक की दयनीय दशा क्यों है?
51 वें 2 दिवसीय प्रान्तीय सम्मेलन में प्रदेशाध्यक्ष अशोक तिवाड़ी मऊ द्वारा प्रांत के सभी प्रतिनिधियों से विचार विमर्श कर यह 41 सूत्री मांग पत्र तैयार कर समुचित कार्यवाही हेतु संस्कृत शिक्षा विभाग एवं राज्य सरकार को प्रेषित किया है। मांग-पत्र में शिक्षक संगठनों की गिरदावरी करवाकर मान्यता देने, पारदर्शी स्थानांतरण नीति लागू करने, हाई पावर कमेटी गठन के उद्देश्यों एवं निर्देशों की पूर्णतया पालना सुनिश्चित करने, 1977-78 के नियमों की बकाया डीपीसी करने, विद्यालयों के पदों की समीक्षा करवाकर पुनः नियमानुसार पद आवंटित करने, विभिन्न कार्यालय में प्रतिनियुक्त शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने एवं अधिशेष शिक्षकों को आवश्यकता वाले विद्यालयों में प्रतिनियुक्त करने, वर्तमान सत्र तक सभी रिव्यू एवं नियमित डीपीसी करने, डीपीसी में 48 प्रतिशत की बाध्यता हटाने, चूरू एवं पाली मण्डल कार्यालय शुरू करवाने, विद्यालय विंग के जेडी डीडी एडी के पद देने, प्राध्यापकों की वेतन विसंगति दूर करने, सभी जिला मुख्यालयों पर वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय व संस्कृत कॉलेज खोलने, जिला मुख्यालयों पर जिला संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्थापित करने, शिक्षक पुरस्कार का कोटा पहले की तरह बहाल करने, पुरस्कृत शिक्षकों को अतिरिक्त जीआई देने, विभागीय नीति के अनुसार प्रदेश में नए संस्कृत विद्यालय खोलने, शारीरिक शिक्षकों के साथ ही कम्प्यूटर अनुदेशक, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के पद देने, शिक्षा बजट का 10 प्रतिशत संस्कृत शिक्षा को देने, विभागीय कार्मिकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से पूर्ण रूपेण मुक्त करने, सम्भाग एवं निदेशालय में डीआई पद पर प्रधानाचार्य को लगाने, अनुदानित शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति तिथि से पेंशन का लाभ देने, सभी मण्डल मुख्यालयों पर संस्कृत शिक्षा के शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थापित करने, शालादर्पण के सभी टैब चालू करने, छठवीं से बारहवीं तक संचालित विद्यालयों में प्राथमिक कक्षाएं स्वीकृत करने, वरिष्ठ उपाध्याय व संस्कृत कॉलेजों में शुक्ल यजुर्वेद विषय देने, सभी लाभकारी योजनाओं का लाभ संस्कृत विद्यालयों को विभाग के माध्यम से देने, समसा कार्यालय में अलग से शाखा बनाकर विभागीय अधिकारी को प्रतिनियुक्त करने, सत्र में दो बार समस्या समाधान शिविर लगाने, शिक्षक एप्प के लिए के मोबाईल फोन उपलब्ध कराने, विभाग में जेईएन एईएन लगाने, विद्यालयों का प्रभावी निरीक्षण करवाने, संस्कृत शिक्षा निःशुल्क करने, मिडिल स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद पर सभी विषयों के वरिष्ठ अध्यापक लगाने, विद्यालयों को मर्ज करने के बजाय स्थानांतरित करने, पाचिका का मानदेय न्यूनतम मजदूरी के बराबर करने, विभागीय कार्मिकों की क्रीड़ा प्रतियोगिता आयोजित करवाने एवं सर्व शिक्षा अभियान मद में कार्यरत रहे शिक्षकों के टीवी नम्बर एवं भुगतान तिथि ऑनलाइन करवाने की मांग शामिल है।
प्रदेश महामंत्री दयालसिंह काजला ने बताया कि मांग-पत्र में मुख्यतः शिक्षक, शिक्षार्थी एवं विभागीय स्तर के ज्वलंत मुद्दों को स्थान दिया गया है।
