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बीकानेर,आखातीज पर हुई पंतगबाजी के दौर में मंगलवार को कातिल बने चायनीज मांझे ने जमकर कहर बरपाया। इसकी चपेट में आने से करीब नो लोगों के गले की श्वास नली तक कट गई और दर्जनों परिन्दे मौत का शिकार हो गये। पीबीएम होस्पीटल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पंतगबाजी के दौर में मंगलवार सुबह ही घायलों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। इनमें कई बच्चे छत्त से गिर कर घायल हुए थे, वहीं दर्जनां ऐसे पीड़ित भी पहुंचे जिनका गला चाइनीज मांझे की चपेट में आने से लहुलुहान हुआ था, इनमें नो जनों के गले की श्वास नली तक कट हुई थी। जिनकी जान बचाने के लिये डॉक्टरों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। जानकारी में रहे कि बीकानेर में चायनीज मांझे की चपेट में आकर जख्मी होने का सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा है लेकिन आखातीज के मौके पर इस कातिल मांझे ने जमकर कहर बरपाया। इसके कहर से दर्जनों परिन्दे मौत का शिकार हो गये। हालांकि जिला प्रशासन ने चाइनीज मांझे पर सख्ती के साथ पांबदी लगा रखी है, इसके बावजूद इसका चलन बदस्तूर जारी है। कट्टर की तरह घातक होने के कारण पंतगबाजों में इसकी जमकर डिमांड रही और पंतग विक्रेता भी चोरी छूपे यह कातिल मांझा बेचते रहे। प्रशासन और पुलिस ने अभियान चलाकर कई पंतग विक्रेताओं से चायनीज मांझे की चरखिया बरामद की, मगर कोई कड़ी कार्यवाही अमल में नहीं लाये जाने के कारण यह घातक मांझा बेचने वाले बेखौफ रहे।

ऐसे में कोई दो राय नहीं है कि बीकानेर में आखाजीत पर प्रशासन की ओर से चाइनीज मांझे पर लगाई गई पाबंदी पूरी तरह फेल साबित हुई। वहीं सामाजिक संगठनों और जागरूकता लोगों ने भी इसकी रोकथाम के लिये सजगता से प्रयास नहीं किये । परिणाम यह रहा कि आखातीज पर यह कातिल मांझा खुलकर चलन में रहा और इसकी चपेट में आने से लोगों की जान सांसत में आ गई। ट्रोमा सेंटर से जुड़े सूत्रों की मानें तो मंगलवार को पंतगबाजी के दौर में जितने भी लोग चोटिल और जख्मी हालत में आये उनमें चायनीज मांझे की चपेट में आये लोग ज्यादा थे।

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