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बीकानेर,बच्चों को साहित्य और संगीत से जोड़ने के लिए बीकानेर में चिल्ड्रन लिटरेचर एंड कल्चर फेस्टिवल का आगाज शुक्रवार को अंत्योदय नगर स्थित रमेश इंग्लिश स्कूल में हुआ। पहले दिन बीकानेर के अलावा रतनगढ़, श्रीगंगानगर, बीदासर चूरू, सुजानगढ़ चूरू, सोजत पाली और उदयपुर के बच्चों ने हिस्सा लिया।

प्रदेशभर से आए करीब तीन सौ बच्चों ने कथक नृत्य में विशेष रुचि दिखाई। करीब सौ बच्चों ने अंतरराष्ट्रीय कत्थक नृत्यांगना वीणा जोशी के साथ कदम ताल किया। जोशी ने कथक के सोलह स्टेप्स गिनाए। कहानी और कविता में भी बच्चों ने खास रुचि दिखाई। कवि राजेश विद्रोही उस समय चकित रह गए, जब उनकी क्लास में आए बच्चों में अधिकांश ने स्वयं कविता सुनाई। अपनी लिखी कविताओं को वैसे ही चैक करवाया, जैसे स्कूल में कॉपी चैक करवाते हैं। विद्रोही ने एक-एक कविता को संवारने का काम करते हुए आश्चर्य जताया कि बच्चों का शब्द कोष काफी समृद्ध है। कहानीकार संगीता सेठी ने खेल-खेल में कहानी लिखने के टिप्स दिए। जयपुर से आई कवियित्री डॉ. निकिता त्रिवेदी और बीकानेर की सीमा भाटी ने भी बच्चों को कविता और गजल के विभिन्न रूपों के बारे में बताया।
देशभर का अनूठा आयोजन
इससे पहले फेस्टिवल का उद्घाटन करते हुए एग्रो बोर्ड के चैयरमेन रामेश्वर डूडी ने कहा कि बीकानेर का ये आयोजन अनूठा है। पिछले कई सालों से इसके बारे में सुना था, आज बच्चों के बीच खुद को आने से रोक नहीं सका। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ बच्चों को अपनी नैसर्गिक प्रतिभा पर काम करना चाहिए। पेरेंट्स को भी चाहिए कि वो इस तरह के कार्यक्रमों में भागीदारी करें। संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. अर्जुन देव चारण स्वयं बच्चों के कार्यक्रम के लिए उपस्थित है। उन्होंने कहा कि बीकानेर में ये सोच विकसित होना बड़ी बात है कि बच्चों को साहित्य से जोड़ा जाए। साहित्यकार, कथाकार मधु आचार्य “आशावादी” और जोधपुर से आए साहित्यकार गजेसिंह राजपुरोहित ने बच्चों के साथ सीधा संवाद किया। इस दौरान बच्चों के लिए अब तक लोमड़ी, झौपड़ी की कहानियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अब नए जमाने की कहानियां लिखी जानी चाहिए। कार्यक्रम में संजय पुरोहित और हरीश बी. शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया। आचार्य राजेंद्र जोशी ने सरोज वादन, तबला वादन करवाया। बच्चों ने तबलों पर पहली बार हाथ भी चलाया।
आयोजन सचिव सेणुका हर्ष ने बताया कि शनिवार को रावण हत्था का प्रदर्शन होगा। बच्चों को लोक वाद्यों के बारे में जानकारी दी जाएगी, साथ ही बच्चे लोकवाद्य बजा भी सकेंगे।
ये रहा आकर्षण
-फेस्टिवल के पहले दिन बच्चों के लिए पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन रखा गया। जहां करीब पचास साहित्यकारों की दो सौ से अधिक पुस्तकें रखी गई। यहां बच्चों ने पुस्तकें पढ़ी। बच्चों ने अपनी खरीद के लिए पुस्तकें सुरक्षित करवाई, जो उन्हें बाद में गायत्री प्रकाशन की ओर से घर भेजी जाएगी।
-बच्चों के लिए फिल्म प्रदर्शन भी रखा गया। जिसमें पहले दिन मकड़ी फिल्म दिखाई गई। तीन अलग अलग क्लास रूम में इंट्रेक्टिव बोर्ड पर फिल्म देखी। बच्चों को फिल्म इतनी पसन्द आई कि अभिभावकों को भी उनको रुम के बाहर इंतजार करना पड़ा।

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