बीकानेर,मरु नगर बीकानेर में रचे गए रोग,शोक, दोष निवारक, सुख, सम्पति व समृद्धि प्रदाता महा मंगलकारी गुरु इक्तीसा का शुक्रवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे सहित देश-विदेश में मूर्ति पूजक जैन समाज के श्रावक-श्राविकाओं ने घरों, मंदिरों, उपासरों और ऑन लाइन गुरु इक्तीसा का जाप किया। गुरु इक्तीसा रचने की तिथि, वार 19 वर्षों के बाद आया है। इस संबंध में गुरु इकतीसा में एक दोहा भी है ’’ संवत्् आठ दोय हजारा, आसो तेरस शुक्रवारा, शुभ मुर्हूत वर सिंह लगन में पूर्ण कीनो बैठ मगन में’’
रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के नेतृत्व में सुबह साढ़े पांच बजे से दस बजे तक सैकड़ों-श्रावक-श्राविकाओं ने गुरु इकतीसा पाठ का 108 बार जाप व उसके बाद भक्तामर पूजन व अभिषेक में भागीदारी निभाई। श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, चातुर्मास व्यवस्था समिति एवं अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद,बीकानेर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में हुए जाप में बीकानेर शहर के विभिन्न इलाकों व कॉलोनियों के श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति भाव के साथ हिस्सा लिया। श्रावक-श्राविकाओं का नवकारसी सत्कार का लाभ वरिष्ठ सुश्रावक भीखमचंद, पूनमचंद व दीपक नाहटा परिवार ने महावीर भवन में किया।
श्रावक श्राविकाओं ने दोहे ’’ श्री गुरुदेव दयाल को मन में ध्यान लगाय, अष्ट सिद्धि नवनिधि मेले, मन वांछित फल पाय।, चौपाई ’’श्री गुरु चरण शरण में आयो, देख दरश मन अति सुख पायो, दत्त नाम दुःख भंजन हारा बिजली पात्र तले धरनारा।। तुम गुरु नाम सदा सुख दाता, जपत पाप कोटि कट जाता।।, कृपा तुम्हारी जिन पर होई, दुःख कष्ट नहीं पावे सोई। सर्व सिद्धि निधि मंगलदाता, देव परी सब शीश नमाता। सोमवार पूनम सुखकारी, गुरु दर्शन आवे नर नारी।।, ’’ सद््गुरु का सुमिरण करें, धरे सदा जो ध्यान, प्रातः उठी पहले पढ़े होय कोटि कल्याण’’, वंदन श्रीगोपाल का, लीजे विनय विधान, चरण शरण में मैं रहं, रखियो मेरा ध्यान, भूल चूक माफी करो, हे मेरे भगवान’’।। आदि को विभिन्न रागों व तर्जों में जाप के दौरान गाया गया।
बीकानेर में हुई गुरु इकतीसा की रचना- दादा गुरुदेव इकतीसा की रचना श्रीपूज्य जिन विजयेन्द्र सूरिश्वरजी महाराज की प्रेरणा से उनके छड़ीदार सेवक श्रीगोपाल ने बीकानेर में विक्रम संवत 2008 में आसोज तेरस को रांगड़ी चौक, के बड़ा उपासरे में की गई थी। श्रीपूज्य जिन विजयेन्द्र सूरि गुरु इकतीसा को अपनी साधना का संपुट देकर प्रकाशित करने की आज्ञा प्रदान की। गुरुदेव की इस सर्वाधिक लोकप्रिय स्तुति को समूचे देश विदेश में अनेक लोग प्रतिदिन गाते है।
श्री भक्तामर अभिषेक विधान-
गुरु इकतीसा के जाप के बाद रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चल रहे श्री भक्तामर अभिषेक व पूजा विधान साध्वीश्री मृगावती, बीकानेर मूल की साध्वी सुरप्रिया व नित्योदया दादा गुरुदेव, नवंकार मंत्र के जाप, माता चक्रेश्वरी, तीर्थंकरों व भैरवजी की वंदना के साथ करवाया। अभिषेक, पूजा और प्रभावन का लाभ सुश्रावक रूपचंद, कंवर लाल, दीपक, जिनेन्द्र खजांची, चार्टेड एकाउंटेंट धनराज,सरलादेवी, सुरेन्द्र अंजना, महेन्द्र व आज्ञा नाहटा परिवार ने लिया। शनिवार को श्रीभक्तामर अभिषेक व पूजन सुबह नौ बजे से सुबह सवा दस बजे तक सुगनजी महाराज के उपासरे में होगा।
प्रेषक-शिवकुमार सोनी
वरिष्ठ सांस्कृतिक पत्रकार