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बीकानेर,प्रदेश के 12 मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में नई कैथ लैब मशीनें लगाई जाएंगी।करीब 6.5 करोड़ रुपये की मशीन की बात करें तो कुल लागत 78 करोड़ रुपये होगी। जिन कॉलेजों में ये मशीनें लगाई जा रही हैं, उनमें बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और उदयपुर के पुराने कॉलेज हैं जहां ऐसी मशीनें पहले ही लगाई जा चुकी हैं। नई मशीन लगाने का मकसद यह है कि इन कॉलेजों से जुड़े हृदय अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

मरीजों को एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, वॉल्वोटॉमी, पेसमेकर जैसी प्रक्रियाओं के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है। कभी-कभी आपातकालीन मामले इतने अधिक हो जाते हैं कि पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं को पांच से सात दिनों के लिए स्थगित करना पड़ता है। नया कैटलैब खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी सप्ताह जयपुर में मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में मरीजों के लोड के हिसाब से लंबे समय तक गुणवत्तापूर्ण परिणाम देने वाली नई प्रौद्योगिकी मशीनों को खरीदने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दो महीने में प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। ऐसे में दो माह बाद कॉलेजों में नई मशीनें लगाने का काम शुरू हो जाएगा।

आपात स्थिति में अधिकतम 6.5 करोड़ राहत, 12 मशीनों पर 78 करोड़ खर्च होंगे, इससे एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर, आपात स्थिति में तत्काल राहत जैसी प्रक्रियाओं का चल रहा इंतजार खत्म होगा।

बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर के चार कॉलेजों में पहले से ही मशीनें लगाई जा चुकी हैं, मरीजों का भार बढ़ने और लगातार इंतजार के चलते खरीदी की जा रही है।

इस मशीन की जरूरत समझें: हल्दीराम हार्ट अस्पताल में प्रतिदिन 350 हृदय रोगी पहुंचते हैं, 20 को प्रवेश की आवश्यकता होती है, 30 को एंजियोग्राफी की आवश्यकता होती है, प्रतिदिन केवल 15 की जाती है। एक महीने में औसतन 15 एंजियोप्लास्टी और 10 पेसमेकर रिप्लेसमेंट किए जाते हैं। ऐसे में कई मरीज जयपुर जाते हैं, कुछ निजी अस्पतालों में जाते हैं तो कुछ इंतजार करते हैं।

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