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बीकानेर राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू ने कहा है कि अब ऊंटनी के दूध की मांग दक्षिण भारत में भी उठने लगी है। इसी के चलते एनआरसीसी एवं अंकुशम प्रा. लि. पुणे के साथ एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. साहू ने कहा कि ऊंटनी के दूध के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं इसे एक व्यवसायिक रूप देने के लिए दक्षिण भारत में इसकी पहचान बनाई जा रही है।

उन्होंने बताया कि ऊंट उत्सव के दौरान एनआरसीसी में प्रस्तावित की जाएंगी। पर्यटनीय गतिविधियों एवं ऊंट दौड़ प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। इसके तहत सात मार्च को ऊंट दौड़, मटका दौड़ तथा रस्सीकस्सी प्रतियोगिताएं आयोजित उन्होंने कहा कि अंकुशम प्रा. लि. द्वारा संघमित्रा के नाम से उष्ट्र दूध व दुग्ध उत्पादों का व्यवसाय प्रारम्भ किया गया है तथा इसके साथ ही कैमल ‘मिल्क से संबंधित दक्षिण भारत में पहला कैमल डेयरी फॉर्म खुल गया है। डॉ. साहू ने उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय, मधुमेह एवं ऑटिज्म में ऊँटनी के दूध का महत्व, अन्य राज्यों में प्रसारित हो रहे उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय तथा इनकी बिक्री स्थिति आदि पर कहा कि प्रदेश के ऊंट पालकों को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि औषधीय उपयोगिता एवं इसकी बढ़ती मांग दूध के अच्छे बाजार भाव दिलवाने में सक्षम है। इस अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आरके सावल ने आभार व्यक्त किया गया।

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