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बीकानेर,एक ओर तो राज्य सरकार विडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये विभागों की प्रगति का फीडबैक लेकर अधिकारियों को न केवल लाखों रूपये बचाने का संदेश दे रही है। बल्कि कोरोना जैसी महामारी से भी सतर्कता के लिये आगाह कर रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार के इस पहल की अनेक अनुभाग अनुपालना तक नहीं कर रहे है। जिसकी बानगी पहले से विवादों में चल रहा बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कार्यकलापों में नजर आ रही है। जिसके कुलपति की ओर से एक निजी होटल में लाखों रूपये खर्च कर ऑफ लाइन बैठक कर सरकार के विपरित प्रवाह में बहने की निरन्तरता को जारी रखा है। इस बैठक को लेकर विवि में चर्चाओं का बाजार गर्म है। जहां इस प्रकार की चर्चा जोर शोर से हो रही है कि जहां 10 अलग अलग बोर्ड ऑफ स्टडीज जिसमें 100 से ज्यादा पाठ्यक्रम पर चर्चा ऑनलाइन की गए हैं। अकादमी काउंसिल की मीटिग भी ऑनलाइन की गए हैं जिस में यूनिवर्सिटी के सभी एकेडमिक निर्णय लिए जाते हैं,एस्टेट ऑफिस की मीटिंग भी ऑनलाइन की जा रही हैं। जिसमें यूनिवर्सिटी के एस्टेट से संबंधित निर्णय लिए गए हैं और तो और बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट,जो यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी समिति हैं। जिसमें यूनिवर्सिटी के सभी बड़े निर्णय लिए जाते हैं ,जिस में विधायक मेंबर हैं। इस समिति की मीटिंग भी ऑनलाइन की जा रही हैं। परंतु आज मात्र एक विषय पर चर्चा करने के लिए बीकानेर के कुलपति अमरीश विद्यार्थी ने सरकार के लाखों रुपए खर्च कर एक विशेष विचारधारा के वाले लोगो क ो ऑफलाइन मोड में मीटिंग करके लाखों रुपए खर्च किये। जबकि कुलपति द्वारा यहां काम करने वाले कार्मिकों को उनके डीए व अन्य वित्तिय व्यवस्थाओं की मांग कर रहे है। पर उनकी मांगें पूरी करने में बजट का अभाव आड़े आता है। जिसको लेकर कार्मिक भी दबी जुबां विरोध कर रहे है। एक कार्मिक ने अपना नाम न छपाने की शर्ते पर बताया कि कोरोनो के बाद जहां मुख्यमंत्री स्वयं लगभग सभी मीटिंग ऑनलाइन करते हैं और मुख्यमंत्री स्वयं कोई भी मोमेंटो या फिजूल खर्च के सख्त खिलाफ हैं। वही तकनिकी विश्वद्यालय के कुलपति लाखों रुपए खर्च कर के ऑफलाइन मोड में मात्र एक विषय की चर्चा पर सरकार को लाखों का चूना दिया है और हजारों रुपए के मोमेंटो का बंदरबाट कर डाला। मजे की बात तो यह है कि इसकी अनुमति अपने स्तर पर ही सरकार की ओर से नियुक्त वित्त नियंत्रक और कुलसचिव ने दी है।

सरकारी विश्वविद्यालय में कुलपति के अलावा सरकार के दो अधिकारी कुलसचिव और वित्त नियंत्रक के अधिकारी भी इस मामले में बराबर के दोषी हैं,जिन्होंने इस मीटिंग के लिए परमिशन दी हैं।

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