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बीकानेर,उप चुनाव राजनीतिक दलों और नेताओं की जनता में वर्तमान राजनीतिक हालातों की तस्वीर माना जाता है। उप चुनाव चाहे लोकसभा के हो या विधानसभा अथवा स्थानीय निकाय के मतलब यही निकाला जाता है कि कौनसी पार्टी या नेता का प्रभाव कितना बढ़ा या घटा है। राजस्थान में सरदार शहर विधान सभा चुनाव अशोक गहलोत की सरकार और प्रदेश भाजपा संगठन की अगले विधानसभा चुनाव के लिए कड़ी परीक्षा माना जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों युद्ध स्तर पर इस परीक्षा में पार पाने में लगे हुए हैं। बीकानेर नगर निगम के वार्ड पांच उपनगरीय क्षेत्र में भी उप चुनाव कमोबेश यही संदेश दे रहा है। इस वार्ड की पार्षद कांग्रेस की रही है। पिछले चुनाव में सांसद अर्जुन राम मेघवाल के समर्थन से चुनाव मैदान में उतारी गई कांता भाटी पिछली हार के बाद फिर मैदान में है।

कांग्रेस ने वार्ड पांच के इस उप चुनाव को विधानसभा चुनाव के माफिक लिया है। शहर जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत ने चुनाव अभियान के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी आदूराम भाटी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है जो चुनाव की कमान संभालेगी। कमेटी उपचुनाव के लिए वार्ड में कांग्रेस के प्रचार और रणनीति के साथ साथ सभी समीकरणों को साधने का काम करेगी।

कमेटी में जिस हिसाब से चुनाव संचालन में लोगो का चयन किया गया है। मानों कांग्रेस की साख इस चुनाव से ही मापी जाने वाली है। अध्यक्ष आदुराम भाटी सदस्य चेतना चौधरी नेता प्रतिपक्ष,हजारी मल देवड़ा जिला उपाध्यक्ष,दिलीप बांठिया जिला उपाध्यक्ष,सुमित कोचर ब्लॉक अध्यक्ष, मगन पनेचा ब्लॉक अध्यक्ष, सोहन चौधरी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, ललित तेजस्वी जिला महासचिव,
नंदलाल जावा पार्षद महासचिव कांग्रेस, हरिशंकर नायक महासचिव जिला कांग्रेस, राहुल जादुसंगत सचिव जिला कांग्रेस, जयदीप सिंह जावा सचिव जिला कांग्रेस, टिकुराम मेघवंशी सचिव जिला कांग्रेस, चंद्रशेखर चावरिया सचिव जिला कांग्रेस, पाबूराम नायक सचिव जिला कांग्रेस,अभिषेक गहलोत पार्षद, जयकिशन गहलोत ओबीसी पूर्व जिला अध्यक्ष, भीखाराम मेघवाल युथ कांग्रेस, नवरतन डागा वरिष्ठ कांग्रेसी, पूनम नायक वरिष्ठ कांग्रेसी, नितिन वत्सस प्रवक्ता पार्षद इतनी भारी भरकम कांग्रेस के पदाधिकारियों की कमेटी के रहते भी अगर भाजपा चुनाव जीत जाए तो न तो बीकानेर से कोई कांग्रेस नेता चुनाव जीतेंगे और न ही राजस्थान में कांग्रेस वापस आएगी। वहीं अगर वार्ड पांच में कांग्रेस प्रत्याशी जीतती है तो मैसेज यह जाएगा कि अर्जुन राम मेघवाल वार्ड चुनाव भी नहीं जीता सकते। भाजपा प्रत्याशी मेघवाल के निकटवर्ती लोगों में से है। यह उप चुनाव मामूली है, परंतु मायने दूरगामी है।

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