बीकानेर,इन दिनों दालों में ग्राहकी कमजोर रहने से कीमतों में गिरावट का रुख बना हुआ है। दाल कारोबारियों का कहना है कि बाजार में ग्राहकी कमजोर होने के साथ ही कच्चे मालों में भी आ रही गिरावट से दालों के भाव घटे हैं। दलहनों की आवक तो बढ़ रही है और मांग कमजोर है। चने में आगे और गिरावट दर्ज की जा सकती है। शेयर बाजार की गिरावट ने भी बाजार में घबराहट बढ़ाने का काम किया है।*
पिछले कुछ दिनों से दालों में लगातार गिरावट का रुझान देखा जा रहा है और अधिकांश दालों के भावों में कमजोर ग्राहकी देखी जा रही है। उड़द और मसूर को छोड़कर सभी प्रमुख दालें एमएसपी से कम पर बिक रही हैं। एग्री फार्मर एंड ट्रेड एसोसिएशन के महासचिव सुनील बल्देवा ने बताया कि फिलहाल चने एमएसपी से काफी नीचे बिक रहा है। चने की एमएसपी 5230 रुपए है और इसके दाम राजस्थान में 46 से 47000 रुपए क्विवंटल बनेहुए हैं। जबकि महाराष्ट्र में इसके दाम 4300 और गुजरात में करीब 4500 रुपए क्विंटल हैं। राजस्थान में चने की गुणवत्ता और मांग अधिक होने के कारण इसके दाम अपेक्षाकृत बेहतर हैं। लेकिन चने की समग्र मांग की बात करें तो फिलहाल चना दाल एमएसपी से करीब हजार रुपए नीचे बनी हुई है। बाजार में मिलर और ट्रेडर्स की अच्छी मांग नहीं है। वहीं राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता का कहना है कि गर्मियों में पिछले दिनों सब्जियों के दाम कम हुए हैं इसलिए लोगों का रुझान सब्जियों की ओर अधिक हुआ है। साथ ही गर्मियों में दालों का सेवन कम हो जाता है और गांवों में इन दिनों दही-छाछ और दूध का सेवन अधिक होता है। इसलिए उपभोक्ता से दालों की मांग को सपोर्ट नहीं मिल रहा है।
अभी सरकार ने खरीदा है सिर्फ 15 लाख टन चना
जानकारों का मानना है कमजोर ग्राहकी और अनिश्चितता को देखते हुए फिलहाल दालों में गिरावट का ही रुझान रहेगा। 10 मई को भी इंदौर में चना कांटा 50-75 रुपये प्रति क्विंटल टूट गया। नाफेड द्वारा एमएसपी पर खरीदी के बावजूद भाव को सपोर्ट नहीं मिल पा रहा। जानकारों का कहना है कि प्रमुख खपत केंद्रों पर चना दाल और बेसन की मांग कमजोर है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र और गुजरात में बंपर आवक के कारण चना पर दबाव है। देश में चना उत्पादन मांग की पूर्ति के लिए पर्याप्त है, जबकि मंडी में बिकवाली हावी है। राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ के पूर्व उपाध्यक्ष पुखराज चौपड़ा का कहना है कि चने का भविष्य नाफेड और सरकार की खरीदी-बिक्री नीति पर अधिक निर्भर रहने वाला है। सरकार की ओर से खरीद आते ही मांग बढ़ने से दाम चढ़ जाएंगे। एग्री फार्मर एंड ट्रेड एसोसिएशन के महासचिव सुनील बल्देवा के अनुसार सरकार ने अभी तक सिर्फ 15 लाख टन चना दाल ही खरीद की है, जबकि इसका उत्पादन 131 लाख टन दाल अनुमान लगाया जा रहा है। बल्देवा ने कहा है कि सरकार 25 प्रतिशत चने की खरीद एमएसपी पर करती है, तो सरकार द्वारा चने की खरीद बढ़ाए जाने की पूरी संभावना है। लेकिन ये कब होगी ये नहीं बताया जा सकता।
मूंग के दामों में भी आई गिरावट
बात करें मूंग दाल की तो, मूंग के एमएसपी पर दाम फिलहाल 7275 रुपए प्रति क्विंटल हैं, लेकिन मूंग के बाजार भाव 61000 और 62000 प्रति क्विंटल पर बने हुए हैं। एग्री फार्मर एंड ट्रेड एसोसिएशन के महासचिव सुनील बल्देवा के अनुसार पिछले एक महीने में इसके दामों में गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि अभी मध्यप्रदेश में मूंग की समर क्रॉप आ रही है और आगे यूपी और बिहार की समर क्रॉप चालू होगी। राजस्थान में मूंग की क्रॉप अक्टूबर और नवंबर में आती है और इस सीजन की 30 प्रतिशत फसल राजस्थान से ही आती है। बल्देवा के अनुसार मूंग का उत्पादन इस साल करीब 5 लाख टन होने का है।
तुअर के दाम भी आए एमएसपी से नीचे
सुनील बल्देवा ने बताया कि तुअर दाल अधिकांशत: महाराष्ट्र और कर्नाटक में पैदा होती है। इसकी एमएसपी 6300 रुपए है और ये जनवरी-फरवरी में एमएसपी से ऊपर ही बिक रही थी। लेकिन अब इसके दाम 5800 से 6100 रुपए पर आ गए हैं। बल्देवा ने बताया कि तुअर दाल की क्रॉप साइज भारत में 28 लाख टन होने का अनुमान है।
दो दालों के दाम अब भी एमएसपी से अधिक
बल्देवा ने बताया कि अभी दो दालें ऐसी हैं जो तेज हैं और इनके दाम एमएसपी से ऊपर बने हुए हैं। ये दालें हैं उड़द और मसूर। उड़द की फसल कुल 22 लाख टन की होती है जबकि मसूर 11 लाख टन की। मसूर राजस्थान के अलवर में भी होती है और उड़द की फसल राजस्थान के बांसवाड़ा, कोटा और चित्तौड़गढ़ में होती है।
बाजार में घबराहट, रिटेलर अधिक माल खरीदने से बच रहे
जानकारों का कहना इन दिनों सभी दालों में कमोबेश कमजोरी है, ग्राहकी कमजोर है। रिटेलर अधिक माल खरीदने से बच रहा है। शेयर बाजार की गिरावट से हर ओर अनिश्चितता और घबराहट है। यही सब कुछ दाल बाजार में भी दिख रहा है।