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बीकानेर। पीबीएम अस्पताल में करोड़ों रुपए के भवन बन रहे हैं। सरकार व भामाशाह करोड़ों खर्च कर मरीजों के लिए आधुनिक सुविधाओं में इजाफा कर रहे हैं लेकिन महिलाओं की सुविधाओं का किसी को सरोकार नहीं है। मर्दाना से जनाना अस्पताल के बीच में बाहरी परिसर में एक भी सुलभ शौचायल नहीं है, जिससे मरीजों के साथ आने वाली महिला परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह है कि शौच के लिए उन्हें खुले में जाना पड़ता है अथवा दीवार व गाडिय़ों की ओट लेनी पड़ती है।

महिलाओं को होना पड़ता है शर्मसार
पीबीएम परिसर के मर्दाना व जनाना अस्पताल के सामने पुरुषों के लिए कुछ साल पहले यूरिनल बनवाए गए। यह बहुत गलत जगह पर बनाए गए हैं। इन जगहों से महिलाओं व युवतियों का दिनभर आना-जाना लगा रहता है। हालात यह है कि पुरुषों के यूरिनल सही नहीं बने हुए हैं। यूरिन सड़क पर फैला रहता है। यूरिन की बदबू के कारण लोग बेहाल है। इन यूरिनल के सामने से दिनभर पीबीएम अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों व प्रशासनिक अधिकारियों का आवागमन रहता है लेकिन सब आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं।

ट्रोमा व शिशु अस्पताल की दूरी अधिक
पीबीएम अस्पताल परिसर में ट्रोमा सेंटर परिसर और यहां शिशु अस्पताल के पास सुलभ कॉम्पलेक्स बना हुआ है। जबकि एमआरआई सेंटर से लेकर जनाना अस्पताल के बीच सुलभ कॉम्पलेक्स की कोई सुविधा नहीं हैं, जिससे रात हो या दिन महिलाओं को बहुत परेशानी होती है। हालात यह होते हैं कि महिलाओं को शौच के लिए दीवार या गाडिय़ों की ओट लेनी पड़ती है।

पूर्व में बनाए थे प्रस्ताव लेकिन कागजों में दबे
जनाना अस्पताल के पास महिलाओं की सुविधाओं के लिए एक अलग यूरिनल बनाने के प्रस्ताव बनाए गए थे। इस संबंध में पांच साल पहले जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी लेकिन नगर निगम, यूआईटी एवं भामाशाह ने रुचि नहीं दिखाई। नतीजन यह प्रस्ताव कागजों में ही दब कर रह गए। अब फिर से महिलाओं के लिए यूरिनल बनाने पर मंथन चल रहा है।

भामाशाहों से कर रहे संपर्क
मर्दाना व जनाना के पास महिलाओं के सुविधा सुलभ बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए नगर निगम व यूआईटी को भी पत्र लिखा गया है। साथ ही स्वयं सेवी संस्था एवं भामाशाहों से संपर्क कर रहे हैं। स्थान चिन्हित किया हुआ है। इस पुनीत कार्य के लिए जो भी पहल करेगा उसे पूरा सहयोग किया जाएगा।
डॉ. परमेन्द्र सिरोही, अधीक्षक पीबीएम अस्पता

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