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बीकानेर,, हाल ही में राजस्थान प्रदेश में इंजीनियरिंग शिक्षा के सुनहरे परिदृश्य के रोडमैप, तकनीकी शिक्षा में नामांकन में वृद्धि, गुणवत्ता सुधार, अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के सुदृढ़ीकरण एवं शैक्षिक सशक्तिकरण की दिशा में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अम्बरीश शरण विद्यार्थी ने सम्बद्ध अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के साथ अपने संवादो की श्रृंखला “विश्वविद्यालय आपके द्वार” के नवाचार को मूर्त रूप दिया हैं। “विश्विद्यालय आपके द्वार” योजना के नोडल अधिकारी विक्रम राठौड़ ने जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि इस योजनान्तर्गत बीटीयू कुलपति प्रो. विद्यार्थी स्वयं सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों में जाकर उनके उच्च प्रबंधन, निदेशक, प्राचार्य, अकादमिक स्टाफ और विद्यार्थियों से रूबरू हुए उनकी समस्याओं को सुना और विचारो और सुझावों का आदान प्रदान किया। नवीन अकादमिक योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ विश्वविद्यालय और महाविद्यालय अपने हितों को सुदृढ़ करते हुए एक मंच पर आकर तकनीकी शिक्षा के उन्नयन का साँझा प्रयास करेंगे। इस योजनान्तर्गत अब तक कुलपति प्रो. विद्यार्थी द्वारा अबतक 13 महाविद्यालयों का दौरा किया जा चुका है। सांझा सहभागिता की अवधारणा पर आधारित कुलपति विद्यार्थी के इस नवाचार के कई आशाजनक परिणाम सामने आए हैं साथ ही अभियांत्रिकी महाविद्यालयों ने इस नवाचार का स्वागत किया हैं। संभवत : प्रदेश में प्रथम बार ऐसा हो रहा है जब विश्वविद्यालय स्वयं चल कर विद्यार्थियों के पास पहुंच रहा हैं।

अभियान की विस्तृत रुपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कुलपति प्रो. विद्यार्थी ने कहा कि तकनीकी शिक्षा में घटता नामांकन सभी के समक्ष एक चुनौती बना हुआ है, ऐसे में नवाचारो के विकल्पों के तलाशते हुए हमने सम्बद्ध हितधारको के माध्यम से तकनीकी शिक्षा के सशक्तिकरण की दिशा में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के आपसी संबंधो को सशक्त करते हुए “विश्वविद्यालय आपके द्वार” नवाचार का क्रियान्वयन किया हैं। विश्वविद्यालय और कॉलेजो की आपसी भागीदारी का यह उन्नत मॉडल तकनीकी शिक्षा की उन्नती की दिशा में राजस्थान प्रदेश में प्रमुख स्तंभ के रूप में पहचान स्थापित करेगा। विश्वविद्यालय इन्हें अपने भरोसेमंद भागीदार के रूप में देखता है ऐसे में सम्बद्ध कॉलेजो की भूमिका में वृद्धि हुई हैं।आपसी भागीदरी के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिकल्पना को साकार करते हुए बीकानेर तकनीकी विश्विद्यालय ने सम्बद्ध कॉलेजो, विद्यार्थियों, शिक्षको को अपना मजबूत भागीदार मानते हुए प्रदेश की तकनीकी शिक्षा को अन्तराष्ट्रीय पहचान दिलाने का सुखद स्वप्न देखा हैं। राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित कॉलेजो का जिला स्तर पर तकनीकी शिक्षा का एक एजुकेशन हब बनाया जाएगा और सम्बंधित जिले के सभी कॉलेजो को उससे जोड़ा जाएगा, इस हब में राज्य के सभी शोधार्थी अनुसन्धान और नवाचार कर प्रोडक्ट डिजाइन विकसित कर सकेंगे तथा उन्हें पटेंट कराकर अपने स्टार्ट-अप निर्माण भी कर सकेंगे। यह सभी हब कम से कम मानव शिक्षा व समाज की 5 समस्याओं के समाधान हेतु कार्य करेंगे।

इन कॉलेजो को अभियान की मुख्यधारा से जोड़ते हुए हमने प्रयास किया है की हर कॉलेजो में जाकर उनसे मिलकर इन मुद्दों पर उनकी राय ली जाए, उपलब्ध शैक्षिक संसाधनों का किस प्रकार अधिकतम उपयोग किया जा सके, व्यवहारिक रूप से हमारे कॉलेज-विद्यार्थी-शिक्षक किन समस्याओं का सामना कर रहे है उन्हें महसूस किया जाए, विश्वविद्यालय से उनकी क्या अपेक्षाएं है उनका विश्लेषण किया जाए, इंजीनियरिंग शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों के रुझान को कैसे विकसित किया जाए, वर्तमान शैक्षिक ढांचे की अवसंरचना में बदलाव, शिक्षकों के आदान-प्रदान, अनुप्रयुक्त-अप्रचलित-अव्यवहारिक व्यवस्थाओं को समाप्त करना तकनीकी शिक्षा में प्रचलित मानदंडो में किन बदलावों की आवश्यकता हैं, माँगानुरूप पाठ्यक्रम में क्या बदलाव किए जाए, विश्वविद्यालय की प्रचलित अकादमिक-प्रशासनिक-परीक्षा व्यवस्थाओं में कॉलेज किन सुधारो की अपेक्षा रखते है, विद्यार्थियों हेतु अनुसन्धान-प्रशिक्षण को और कैसे विकसित किया जाए, शिक्षको के अध्यापन स्तर में किस प्रकार गुणात्मक वृद्धि की जाए, इंजीनियरिंग के प्रचलित शिक्षा प्रणालियों में बदलाव, संसाधनों और प्रतिभाओं का आंकलन कर उन्हें कैसे तकनीकी शिक्षा के विकास में प्रवृत किया जा सके, जैसे कई असंख्य मुद्दों पर दोनों ने एक मंच पर आकर अपनी समस्याओं को सांझा किया और सामूहिक विश्लेषण के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन्हें सुलझाने की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित किया हैं। एकेडमिक एक्सीलेंस, प्रोडक्ट डवलपमेंट की दिशा में हम फैकल्टी पूलिंग पर काम करना चाहते है ताकि तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता का व्यापक प्रसार हो। विद्यार्थियों की आकर्षण को बढाने हेतु हमें नवीन विकल्पों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा ऐसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इंजीनियरिंग के प्रति विद्यार्थियों के आकर्षण में सर्वोतम साधन होगी। कौशल विकास के माध्यम के उन्हें पेशावर रूप से सशक्त बनाने पर हमें मिल कर कार्य करना होगा। कालेजो में होने वाले शोध और अनुसन्धान मात्र सैद्धान्तिक न होकर व्यावहारिक रूप में ज्ञानार्जन और हमारे अन्य विद्यार्थिओं के लिए लाभदायक होने चाहिए। सम्बद्ध कॉलेजो को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सच्चे मन से प्रयास करना होगा । यदि इस दिशा में हम सार्थक साझेदारी के साथ मिल कर काम करते है तो नि:संदेह प्रदेश के तकनीकी शिक्षा में उच्च नामांकन में वृद्धि होगी ।

विक्रम राठौड़
(सहायक जनसम्पर्क अधिकारी)
बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय

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