Trending Now




बीकानेर, खाजूवाला, आज रक्षा बंधन पर जब देश भर में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध रही हैं, तब कुछ बहनें तपती धूप में अपने कंधे पर भारी भरकम बंदूक लिए बॉर्डर की सुरक्षा में लगी हैं। नजरें इतनी तेज हैं कि सीमा के उस पार एक हलचल होती है तो इनकी अंगुली ट्रिगर पर पहुंच जाती है। BSF डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह को राखी बांधी महिला सीमा प्रहरी ने। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में महिला जवान भी बड़ी संख्या में हैं। देशभर में BSF में महिलाओं की संख्या 5 हजार से ज्यादा है। इन्हीं में करीब 200 महिला जवान राजस्थान में भारत-पाक सीमा पर 24 घंटे डटी रहती हैं। खास बात ये है कि त्योहार पर इनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। आम दिनों से अधिक सजगता से बॉर्डर पर नजर रखनी होती है। बंदूक को राखी बांधती BSF की महिला बटालियन

ये बहनें रक्षाबंधन के दिन अपनी यूनीफार्म में ही बंदूक को राखी बांधती हैं। दरअसल, सीमा पर ये बंदूक ही उनके भाई के समान है, जो उसकी रक्षा करती है। महिला सैनिकों का मानना है कि त्योहार से बड़ा देश है। हमने राष्ट्र की सुरक्षा का जिम्मा उठाया है तो फिर हर दिन एक जैसा है। BSF डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह ने राखी बंधवाने के बाद महिला जवान को आशीर्वाद दिया।
पश्चिमी राजस्थान पर बढ़ी जिम्मेदारी जब से पंजाब सेक्टर में बॉर्डर पर लाइटिंग हुई है और सख्ती बढ़ी है तब से बीकानेर व श्रीगंगानगर सेक्टर पर तस्करी जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं। ऐसे में इन दोनों सेक्टर्स में BSF ने अपनी सख्ती पहले से कई गुना बढ़ा दी है। महिला जवानों को भी बॉर्डर पर रहना पड़ता है। अन्य सरकारी महकमों की तरह महिलाओं को सुविधाजनक सीट या पोस्ट देने का प्रावधान नहीं है। खास बात ये है कि ये जवान ऐसी कोई पोस्ट चाहती भी नहीं हैं, जहां सिर्फ बैठने का काम हो। ट्रेनिंग के दौरान ही इनमें लड़ने का जज्बा कूट-कूट कर भर दिया जाता है कि वो हर हाल, हर मौसम में यहां रहने के लिए तैयार रहती हैं। बॉर्डर पर रखनी पड़ती है पैनी नजर अधिकारियों को बांधी राखी
शनिवार को बीकानेर के सांचू बॉर्डर पर BSF के आला अधिकारी पहुंचे तो इन महिला जवानों ने राखी बांधने की इच्छा जता दी। हमेशा की तरह BSF के आला अधिकारियों ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। महिला जवानों ने तुरंत राखी निकाली और अधिकारियों की कलाई पर बांध दी। यहां न तो कोई भावुकता नजर आई और न घर पहुंच पाने का गम दिखा रक्षाबंधन पर भी ड्यूटी पर तैनात रहीं।

Author