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बीकानेर, खरतरगच्छाधिपति मणिप्रभ सूरिश्वरजी म.सा.की आज्ञानुवर्तिनी गच्छ गणनी, साध्वीश्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी (बिलाड़ा), साध्वीश्री प्रिय दिव्यांजना (चैन्नई) व साध्वीश्री शुभान्जना (बड़ौदरा) ने मंगलवार को गाजे बाजे के साथ जिन मंदिरों में दर्शन, वंदन करते हुए शोभायात्रा के साथ नगर प्रवेश किया। साध्वीजी के नियमित प्रवचन बुधवार सुबह नौ से दस बजे तक सुगनजी महाराज के उपासरे में होंगे।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि साध्वीवृंद के प्रवेश की शोभायात्रा गोगागेट के गौड़ी पाश्र्वनाथ से रवाना होकर भुजिया बाजार के चिंतामणि जैन मंदिर, नाहटा मोहल्ले के भगवान आदि नाथ मंदिर होते हुए रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे पहुंची। जैन विधि अनुसार रास्ते में अनेक स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं ने गंवली सजाकर साध्वीवृंद का स्वागत, वंदन अभिनंदन किया। सुगनजी महाराज के उपासरे में चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारिवाल, चार्टेंड एकाउंटेंट राजेन्द्र लूणियां, महावीर सिंह खजांची, भीखमचंद बरड़िया, हस्तीमल सेठी, कंवर लाल खजांची, महावीर नाहटा व मनीष नाहटा आदि ने जयकारों के साथ साध्वीवृंद की वंदना करते हुए स्वागत किया। वरिष्ठ श्राविका मूलाबाई दुग्गड़ के नेेतृत्व में विचक्षण महिला मंडल की सदस्याओं ने एक सी पोशाक में स्वागत गीतिका प्रस्तुत की।
बीकानेर में 40 साल बाद अक्षया तृृतीया के वर्षीतप के पारणे में श्रावक-श्राविकाओं में देव, गुरु व धर्म के प्रति जागृृति लाने के लिए पहुंची साध्वीश्री प्रियरंजनाश्री ने प्रवचन में कहा कि साधना में शक्ति है। कई बार कर्म शक्ति के कारण साधना की शक्ति, और धर्म शक्ति के आगे कर्म शक्ति विफल हो जाती है। जैन धर्म व जिनवाणी को जीवन में उतारे तथा अपने जीवन में बदलाव लाएं। अपने आत्म व परमात्म स्वरूप को पहचाने।
साध्वीजी ने कहा कि चैथे दादा गुरुदेव के 19 बार और अनेक बार प्रमुख मुनि व साध्वीवृृंद के चातुर्मास करने, प्राचीन जैन मंदिरों के कारण बीकानेर की धर्मधरा आध्यात्म, साधना, आराधाना,श्रावक-श्राविकाओं की देव, गुरु व धर्म के प्रति निष्ठा व समर्पण के कारण वंदनीय व पूजनीय है। उन्होंने कहा कि भोग के भाव को बदलकर त्याग, भक्ति व सेवा के भाव को अपने में जागृत करते हुए ज्ञान पाठशालाओं व अन्य माध्यमों से धर्म की प्रतिष्ठा के लिए पुरुषार्थ करें।
साध्वीश्री शुभांजनाश्री ने प्रवचन में कहा कि बीकानेर तप,त्याग, साधना-आराधना से रंगी, तपस्या से तपी व साधना से सधी धर्मधरा है। गुरुदेवों के उपकार के कारण अमृत देने वाली है। इस भूमि पर रहने वाले अपने आपको भूले नहीं, अपने में व्याप्त अहंकार का त्याग कर आत्म स्वरूप में रमण करें।

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