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बीकानेर,शहर के ट्रेफिक पुलिस कर्मियों और वाहन चालकों के बीच विवाद के मामले सामने आने के बाद ट्रेफिक कर्मियों को आधुनिक तर्ज पर तैयार करने के लिए जयपुर मुख्यालय से जिला मुख्यालय पर बॉडी कैमरे भेजे गए थे। शुरूआती दौर में तो ट्रेफिक पुलिसकर्मी इन ड्यूटी के दौरान इन बॉडी कैमरों से लैश नजर आये मगर बीते सालभर से यह बॉडी कैमरे ट्रेफिक थाने की धूल फांक रहे है। जानकारी में रहे कि ड्यूटी पर मुस्तैद रखने के लिए ट्रेफिक पुलिसकर्मियों के लिए बॉडी कैमरे लगाने के मद्देनजर बीकानेर ट्रेफिक थाने के लिये दो दर्जन से अधिक बॉडी कैमरे मंगवाए गए थे। जिले में इस प्रकार की व्यवस्था से यातायात पुलिस को एक नई दिशा मिलने वाली थी। लेकिन सालभर से ट्रेफिक कर्मियों की ओर से इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है।

अवैध वसूली रोकना था मुख्य उद्देश्य
ट्रेफिक पुलिस कर्मियों के बॉडी कैमरे लगने से जहां चालान काटने के दौरान वाहन चालक को उलझना भारी पड़ेगा। वहीं अवैध वसूली पर भी रोक लगाना उद्देश्य था। बॉडी कैमरे में वीडियो के साथ ऑडियों सिस्टम भी है, कई बार वाहन चालक किसी से फोन पर बाते कराने का प्रयास करता है या चालान कटवाने में आनाकानी करता या उलझ जाता है। वहीं जुर्माना भरने के बजाय ट्रेफिक कर्मी को लालच देने पर उसकी रिकॉर्डिंग होगी। वहीं पुलिसकर्मी भी वाहन चालकों से अवैध वसूली नहीं कर पाएंगे।

एक दर्जन यातायात प्वाइंट
जिला मुख्यालय पर एक दर्जन यातायात प्वाइंट हैं। जहां पर अधिक यातायात पुलिसकर्मियों का जाप्ता रहता है, वहां पर चालान काटने वाले हैडकांस्टेबल की बॉडी पर कैमरा लगाने की योजना थी। इससे सभी की मॉनिटरिंग होती रहे। वहीं ट्रेफिक पुलिसकर्मी प्वॉइंट छोडकऱ इधर-उधर नहीं बैठ सकेंगे। इससे यातायात संचालन भी सुगम रहेगा।

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