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बीकानेर। श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब का सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में चातुर्मास चल रहा है।  चातुर्मास में प्रतिदिन ध्यान-ज्ञान, तप और अराधना के साथ व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। गुरुवार को आचार्य श्री ने साता वेदनीय कर्म के सातवें बोल ‘संयम में रमण करता जीव साता वेदनीय कर्म का उपार्जन करता है’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। महाराज साहब ने  संयम क्या है…? , इस पर  अपने दिव्यदर्शन से श्रावक- श्राविकाओं को जिनवाणी से लाभान्वित करते हुए कहा कि महापुरुष कहते हैं, आचार में अहिंसा, विचार में उदारता, व्यवहार में नम्रता, ह्द्धय में सरलता और वचन में सत्यता यह संयम है।
संयम में जो रमण करता है, वही साता वेदनीय कर्म का बंध करता है।
युवा पीढ़ी हो रही भ्रमित
आचार्य श्री ने कहा कि आज युवा दिग्भ्रमित हो रहे हैं। उसके भ्रमित होने में थोड़ा सा बचाव हो सकता है। अगर धर्मसभा, व्याख्यान, सत्संग में भाग लें, लेकिन वह सत्संग में आते नहीं, संसार में भ्रांतियां सी लगी है। इसलिए मैं कहता हूं सत्संग बहुत जरूरी है। यह सत्संग मोह-माया, लोभ, काम- क्रोध, बैर, झगड़े, फसाद से दूर ले जाता है।
चौविहार तपस्या जारी
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि श्रावक-श्राविकाऐं तप-जप ध्यान, अराधना, उपवास कर रही हैं। श्रावक कन्हैयालाल भुगड़ी ने गुुरुवार को 29 की तपस्या का आशीर्वाद लिया। वहीं सेठिया परिवार के रिद्धकरण सेठिया ने 16 की तपस्या, विनोद सेठिया ने 11 की एवं प्रशांत के 9 की तथा गौरव के 5 की तपस्या पूर्ण की तथा पारणा किया। तपस्या की अनुमोदना में सेठिया परिवार की बहनों ने भजन ‘चातुर्मास का महीना, तपस्या करे जोर, तप का लाडू मिठा, मिठी है हर कोर’ तथा ‘आई तपस्या री बहार, तपसी जी आया स्थानक मे की प्रस्तुति दी।गंगाशहर संघ के अध्यक्ष मोतीलाल सेठिया ने अपने भावोद्गार में सभी से धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढक़र भाग लेने की बात कही।

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