Trending Now












बीकानेर,सिद्धि बाईसा फिर चुनाव जीत सकती है? भाजपा का बैनर, राज घराने की परंपरागत इज्जत और सामने कांग्रेस का ऐसा प्रत्याशी! क्या बाईसा लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि की परिभाषा में सही बैठती भी है ? क्या जनता के प्रति उनमें संवेदना है। जनता की पीड़ा को समझती भी है क्या? क्या विधायक की भूमिका में अपने मतदाताओं के प्रति किसी भी प्रकार से दायित्व निभाया भी है ! भाजपा अपनी एक सीट बढ़ाने के लिए राजघराने की मानकर टिकट क्यों देती है। जबकि पार्टी में भी ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो कई मोकों पर बाईसा पर निष्क्रियता का आरोप लगा चुके हैं। जो बेचारे सक्रिय राजनीति करते हैं पार्टी और संगठन के लिए दिन रात लगे रहते हैं उनका हक मारा जा रहा है। मैं कोई बाईसा की आलोचना की भावना से यह बात नहीं कह रहा हूं। भुगत भोगियों की जुबानी और पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों की यदा कदा, जहां तहां समूहों के बीच कही गई बात को दोहरा रहा हूं। बाईसा आमतौर पर किसी से मिलती नहीं। स्वयं तो फोन उठाना दूर की बात । ऐसा जनप्रतिनिधि किस काम का ? जनता की क्या मजबूरी है कि परंपरा के नाम पर इसे ढोया जाए? बीकानेर पूर्व विधानसभा के किसी भी मतदाता को अपने जन प्रतिनिधि पर गर्व हो तो खुशी ही होगी। कोई नहीं कहेगा कि ऐसा जनप्रतिनिधि पर शर्म आती है। जो जनता के खातिर न बोलता है। न ही जनता की सुनता है। न जनता की तकलीफों को महसूस करता है। फिर भी जनता का प्रतिनिधि है क्यों भाई ? लोकतंत्र में योग्य लोगों की कमी थोड़े ही है। जहां सिद्धि बाईसा का राजवी परिवार के डेरे में कार्यालय खोला जा रहा है उसके सामने बना अंडर ब्रिज क्या तकनीकी रूप से सही बना है? क्या काम पूरा कर दिया गया है। जनता को कोई तकलीफ तो नहीं है? बाईसा को इससे कोई लेना देना नहीं है। जो जनप्रतिनिधि सामने दिखाई दे रही समस्या पर नहीं बोल सकता उससे जनता की पीड़ा दूर करने की उम्मीद करना बेमानी है। बस बहुत हो गया बाईसा। यह इंतहा हो गई। भले ही बाईसा आप फिर जीत जाए जनता का मन नहीं जीत सकोगी।

Author