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बीकानेर,सरकार द्वारा आयोग बनाये जाने के बाद भी हर जाति के बोर्ड का गठन कर रही है देखा जाये तो राजस्थान लोहार समाज अपने अलग-अलग गोत्र के रूप में नागौरी लोहार, कांठे वाला लोहार, जयपुरी लोहार, मुल्तानी लोहार, बंधु किया लोहार, गद्दी लोहार, सेफी लोहार, (2200000) जनसंख्या में सबसे बड़ी जाति के रुप में लोहार जाति है लेकिन इस जाति के रूप में कोई एमएलए एमपी नहीं आता कारण लोहार जाति राजस्थान के प्रत्येक शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी रोजी रोटी के लिए सभी जगेह थोड़े-थोड़े रहते हैं यह यही कारण है जाति आजादी के समय से ही पिछडी हुई है.

राजनैतिक क्षेत्र में देखा जाये तो कोई आरक्षित सीट नहीं हासिल होती शिक्षा के लिए यह जाति बड़ा संघर्ष कर रही है पिछड़े वर्ग से आने के बावजूद दूसरी जाति से मोटा कर्जा लेकर अपने ननिहालों को पढ़ाई लिखाई करवा रहे है. धन्य ज्यादातर अनपढ़ ही रह जाते हैं

हालांकी वह सफलता नहीं आई जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं

इस जाति का व्यवसाय लोहे का कार्य एवं गर्म लोहे का कार्य मोटर बॉडी का कार्य मिस्त्री मैकेनिकल का कार्य फर्नीचर कार्य, खेती-बाड़ी एवं राजस्थान में हैंडीक्राफ्ट व्यवसाई में मजदूर, कारीगर तक ही सिमित है इस जाति में ना कोई बड़ा उधमी है ना उद्योगपति..
शांतप्रिय, सरल, सब वर्गो के साथ चलने वाली जाति लोहार समाज है.
राज्य सरकार द्वारा जातिवार जनगणना के लिए विधानसभा में संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है इसके लिए सरकार साधुवाद की पात्र है..

मुझे बताते हुए बड़ी शर्म आ रही की जीते विधायक या मंत्री दूसरी जातियों के बोर्ड के प्रतिदिन अपने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर “डिजायर” भेज रहे है लेकिन अपनी अपनी कड़ी मेहनत से लोहे का कार्य करने वाली जाति के लिए किसी विधायक या मंत्री ने कोई पत्र मुख्यमंत्री  को नहीं भेजा कारण??
हालांकी उन सभी जातियों का कल्याण हो इसके लिए भी बोर्ड बनने चाहिए इसके लिए में सहमत हूँ. और
लोहार समाज को सभी मंत्री गण और बड़े नेताओं के प्रत्येक टाइम नजर में रहते ह फिर भी अन देखा किया जा रहा ह

लोहार समाज की इस जायज मांग को हमारे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसी कार्यकाल में पूरा करना चाहिए

मुख्यमंत्री का नारा है जो मांगो दूंगा

अतः में मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत से आग्रह करता हूँ की “लोहार हस्तशिल्प कला विकास बोर्ड” का गठन कर लोहार समाज समाज को अनुग्रहित करावे.

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