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बीकानेर,राजस्थान में वीरांगनाओं की मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बीच सियासी संग्राम जारी है। एक दिन पहले राजस्थान विधानसभा में विपक्षी भाजपा के सदस्यों ने वीरांगनाओं का मुद्दा उठाते हुए जमकर शोर शराबा किया था।

इस वजह से विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। इस बीच राजस्थान भाजपा ने एक बड़ा फैसला लिया है। पार्टी ने तय किया है कि अब किसी भी भाजपा नेता को संगठन की अनुमति के बिना विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पार्टी किसी भी भाजपा नेता के व्यक्तिगत आधार पर चलाए गए विरोध प्रदर्शन का समर्थन नहीं करेगी। हालांकि इस बारे में पार्टी की ओर से कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

यह फैसला शहीदों की वीरांगनाओं और भाजपा नेताओं के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए हंगामे के बाद आया है। दरअसल, पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं की मांगों के समर्थन में 11 मार्च को जयपुर में भाजपा नेताओं की ओर से विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान पार्टी के भीतर गुटबाजी का हैरान करने वाला नजारा सामने आया। इससे भाजपा के भीतर माहौल गरम हो गया। भाजपा नेताओं के विरोध प्रदर्शन के दौरान किरोड़ीलाल मीणा के समर्थकों ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। यह पूरा वाकया कैमरे में कैद हो गया।

किरोड़ी लाल मीणा के समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया। पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त किया और बैरिकेड्स तोड़ दिए। पूरे विरोध प्रदर्शन को डॉ. मीना के आधिकारिक फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीम किया गया था। एक सूत्र ने बताया कि राजस्थान भाजपा प्रभारी अरुण सिंह ने पूनिया और कई अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात की। साथ ही पार्टी के भीतर की गुटबाजी को लेकर जानकारी ली। इस वाकए को लेकर पार्टी आलाकमान को एक रिपोर्ट दी गई है। ऐसे में जब सूबे में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और पार्टी एकजुटता के साथ चुनावी रण में उतरने की कोशिश कर रही है, उक्त घटना ने एक बड़ी खामी को सामने ला दिया है।

इस घटना से जाहिर हो गया है कि राजस्थान भाजपा कई खेमों में बंटी हुई है, जिसमें नेता एक-दूसरे की खिंचाई कर रहे हैं। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि शनिवार को विरोध प्रदर्शन का फैसला राज्य इकाई ने नहीं लिया था वरन कुछ स्थानीय नेताओं ने लिया था। शुक्रवार को अस्पताल में मीना से मिलने पहुंचे उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने कहा था कि पार्टी मीना के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ शनिवार को धरना प्रदर्शन करेगी। इसके बाद राज्य इकाई इसमें शामिल हुई।

अंदरूनी गुटबाजी को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने सभी जिला इकाइयों को मौखिक आदेश जारी कर दिया है कि किसी भी धरने के आयोजन से पहले राज्य इकाई से अनुमति लेना जरूरी है। एक सूत्र ने बताया कि राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह और सह प्रभारी विजया रहाटकर ने रविवार को राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया, राजस्थान महासचिव (संगठन) चंद्रशेखर एवं कुछ अन्य नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की। दोनों प्रभारियों ने शनिवार को हुए हंगामे पर नाराजगी जताई। बैठक में निर्णय लिया गया कि बिना प्रदेश संगठन की अनुमति के किसी भी नेता को धरना-प्रदर्शन नहीं करने दिया जाएगा।

सूत्र ने यह भी बताया कि यदि कोई नेता अपनी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाता है, तो संगठन उसका समर्थन नहीं करेगा। सनद रहे मीना और पूनिया के बीच तल्खी पहले भी सामने आ चुकी है। जब मीना ने परीक्षा पेपर लीक मामले को लेकर पूनिया पर निशाना साधा था। कुछ हफ्ते पहले, मीना राजस्थान पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे। कई भाजपा नेताओं ने मीणा का समर्थन किया लेकिन संगठन का समर्थन नजर नहीं आया। विरोध प्रदर्शन के बाद, मीणा ने कहा था कि वह राज्य भाजपा की ठंडी प्रतिक्रिया से निराश हैं।

उस समय मीना ने धरने की अनुमति ली थी या नहीं, इसको लेकर सवाल उठे थे। मीणा का दावा था कि उन्होंने पूनिया को इस योजना से अवगत कराया था। वहीं पूनिया के खिलाफ नारेबाजी करने वालों पर भाजपा ने तेजी से कार्रवाई की है। पार्टी ने करौली जिले से लाखन सिंह मीणा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। अरुण सिंह का कहना है कि पार्टी हंगामे में शामिल अन्य लोगों की पहचान कर रही है। दोषियों की पहचान के लिए रैली की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच की जा रही है। यदि कोई भाजपा कार्यकर्ता इसमें शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर पुलिस भी दोषियों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज की जांच कर रही है।

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