बीकानेर,रोजगार देने का हक है, रोजगार छीनने का नहीं। 18 अशैक्षणिक कार्मिकों को अचानक पदमुक्त कर देना न्यायोचित्त नहीं है। इस मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा और दुर्भावना भरे लिए गए फैसलों को रद्द करवाया जाएगा। यह उद्गार नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने सोमवार को जिला कलक्ट्रेट पर पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका के नेतृत्व में आयोजित आमरण अनशन पर व्यक्त किए। आमरण अनशन को सम्बोधित करते हुए देहात जिलाध्यक्ष जालमसिंह भाटी ने कहा कि कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करके कॉलेज प्रशासन अपनी हठधर्मिता को दर्शा रहा है। कांग्रेस सरकार ने चहुंओर भ्रष्टाचार को पनपाया है। पूर्व शहर जिलाध्यक्ष अखिलेशप्रतापसिंह ने कहा कि केवल पत्थर लगवाने वाली इस सरकार ने जनहित की कभी परवाह नहीं की। आमरण अनशन को पूर्व जिलाध्यक्ष ताराचंद सारस्वत, भाजयुमो शहर अध्यक्ष वेद व्यास, देहात अध्यक्ष जसराज सींवर, टाइगर यूनियन के अध्यक्ष युधिष्ठर सिंह भाटी, भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ असवाल, पूर्व प्रधान राधादेवी सियाग, पूर्व पार्षद राजेन्द्र शर्मा, कुम्हार महासभा के पूर्व अध्यक्ष पप्पू लखेसर सहित अनेक जनों ने सम्बोधित किया। इस दौरान कर्मचारी नेता दिलीप जोशी, सुरेश शर्मा, निर्मल गहलोत, सुखराम दवां, भवानी पालीवाल, रूपसिंह राजपुरोहित, भगवतीप्रसाद गौड़, ओम राजपुरोहित, गणेश बोथरा, हंसराज डागा, पंकज गहलोत, महेन्द्र गोदारा, मधुसूदन शर्मा, शंभु गहलोत, आनन्द सोनी, नवरतन सिंह सिसोदिया, ओम राजपुरोहित, गणेश जाजड़ा, पवन सुराणा, नरेश राजपुरोहित, तेजाराम राव, पार्षद विजय सिंह, पार्षद दूलीचंद सेवग, पार्षद जितेन्द्र सिंह भाटी, पार्षद शिवचंद पडि़हार, पार्षद रामदयाल पंचारिया, अमित जांगिड़, दिनेश चौधरी, जितेन्द्रसिंह राजवी, मोहनसिंह नाल, नरपतसिंह, रमेश सैनी, सुभाष गोयल, विशाल गोलछा, अरविन्द सोनी, मुल्तान, लोकेश छाबड़ा, लक्की पंवार, सीताराम सुथार, रविशंकर मारु, पूर्व अध्यक्ष मधुरिमा सिंह, भारती अरोड़ा, भगवती स्वामी, शशि नैय्यर, अरुणा जैन, राधा खत्री, संगीता शेखावत, राजकुमारी मारु, शशि गुप्ता, शारदा नायक व पूजा सिंह सहित अनेक जन शामिल रहे।
*दो महिलाओं सहित नौ जने आमरण अनशन पर*
भाजपा के रमेश भाटी ने बताया कि पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका के नेतृत्व में सोमवार सुबह करीब साढ़े दस सर्किट हाउस के पास स्थित कार्यालय से सैकड़ों कार्यकर्ता रैली के रूप में धरना स्थल पर पहुंचे। धरना स्थल पर भाजपा नेता भगवान सिंह मेड़तिया, पवन महनोत, कुलदीप यादव, मनोज गहलोत, राजेंद्र व्यास, टेकचंद यादव, मोहित बोथरा, नीलम जांगिड़ व सरला राजपुरोहित आमरण अनशन पर हैं।
*अंतिम सांस तक जारी रहेगा न्याय के लिए संघर्ष : महावीर रांका*
भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक महावीर राका ने कहा कि ईसीबी कॉलेज के कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए शुरू किया संघर्ष अंतिम सांस तक जारी रहेगा। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक कर्मचारियों को बहाल नहीं करना राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना है। कांग्रेस सरकार के इस दुर्भावनापूर्ण रवैया के चलते आमरण अनशन पर कर्मचारियों के साथ अंतिम सांस तक इस संघर्ष में भागीदार बने रहेंगे।
*क्या है मामला*
इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर के नियमित अशैक्षणिक कार्मिकों को ज्वाइनिंग करवाने एवं ऑडिट में हुए घोटाले की जांच की मांग को लेकर पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका के नेतृत्व में आमरण अनशन प्रारंभ किया गया है। भाजपा नेता महावीर रांका ने बताया कि 2018 में अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर में 18 अशैक्षणिक पदों पर नियमित नियुक्ति की गई थी। राजनैतिक दुर्भावनावश चार वर्ष की सेवा पूर्ण होने के उपरान्त भी उक्त कार्मिकों को नियमानुसार परिलाभ प्रदान नहीं किए गए तथा एक कार्मिक की असमय मृत्यु हो गई उसकी विधवा पत्नी को भी अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई। पूर्व चैयरमेन रांका ने बताया कि राजनैतिक दुर्भावना से ग्रसित होकर ही उक्त कार्मिकों की मार्च-2022 को अचानक ही सेवाएं समाप्त कर कार्यमुक्त कर दिया गया। उक्त कार्मिकों द्वारा हाईकोर्ट में रिट याचिका संस्थित किए जाने पर महाविद्यालय ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ में एकलपीठ के स्थगन आदेश के विरुद्ध स्पेशल अपील दायर की। ईसीबी सहायक कुलसचिव कुंजीलाल स्वामी ने बताया कि खंडपीठ में अपील संबंधित प्रक्रिया न्याय विभाग द्वारा विहित विभागीय स्तर पर स्वीकृति प्राप्त किए बिना अपील की गई। जिसे भी उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा 24 जनवरी 2023 को निर्णित कर मैरिट के आधार पर खारिज कर दिया। स्वामी ने बताया कि दस माह से इन कार्मिकों को वेतन भुगतान भी रूका हुआ है एवं न्यायिक प्रक्रियाओं मं व्यय भी बढ़ रहा है। कार्मिकों का जीवन यापन परिवार का भरणपोषण दुभर हो गया है। पूर्व चैयरमेन महावीर रांका ने बताया कि ऑडिट विभाग द्वारा सत्र 2005 से 2014-15 के लेखों की जांच में रिकवरी योग्य राशि लगभग 10 करोड़ 62 लाख पाई है। जिसके संबंध में महाविद्यालय द्वारा कोई विस्तृत कार्यवाही नहीं की गई है। इन लेखों की सीबीआई जांच करवा कर वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश किया जाना बेहद आवश्यक है।