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बीकानेर,राजस्थान में इस साल दिसंबर माह में विधानसभा के चुनाव होने वाले है और विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही बीजेपी ने अपनी राजनैतिक शतरंज की बिसात पर जातिगत मोहरों को जमाना शुरू कर दिया है।

ऐसे में गुलाबचंद कटारिया, सतीश पूनियां, सीपी जोशी, अर्जुनराम मेघवाल, किरोड़ी लाल मीणा सहित कई दिग्गजों को अहम जिम्मेदारियां जातिगत आधार पर ही दी गई हैं ताकी सभी को साधा जा सके। वहीं राजपूतों की बात करें तो गजेन्द्र सिंह शेखावत व राजेन्द्र सिंह राठौड़ राजपूतों को साधने के मैदान में जोर आजमाइश कर रहे हैं।

बीजेपी राजस्थान में राजपूतों के सबसे बड़े नाम पूर्व उपराष्ट्रपति व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत पर अपना दांव चल रही है। इस बार शेखावत की जन्मशताब्दी वर्ष को पूरे प्रदेश में धूमधाम के साथ मनाए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसकी कवायद शुरू हो गई है। बीजेपी की हाल ही में हुई बैठक में ये निर्णय किया गया कि आगामी 12 मई से शेखावत के जन्मशताब्दी वर्ष के कार्यक्रम पूरे राजस्थान में होंगे। इसके लिए कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी जा रही है। भैरोंसिंह शेखावत के पैतृक गांव खाचरियावास में इन कार्यक्रमों की शुरूआत होगी। शेखावत के बहाने राजपूतों को एक मंच पर लाकर उन्हें बीजेपी के पक्ष में करने की कवायद शुरू हो चुकी है।

राजस्थान में राजपूत बहूल्य क्षेत्रों की बात करें तो पूरे प्रदेश में हर संभाग मुख्यालय पर राजपूतों का वोट बैंक बडी संख्या में हैं और राजपूत समाज के बडे़ नेता भी बीजेपी से ही आते हैं।हालांकि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर अटकलें लगातार बनी हुई हैं। राजपूत समाज सीधे तौर पर बात करें तो 100 से अधिक विधानसभ सीटों पर प्रभाव डालता है, जिसमें मेवाड़, हाड़ौती, जयपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर, जालौर, झुंझुनूं, सीकर सहित कई जिले काफी अहम भूमिका निभाते हैं। विधानसभा की बात करें तो राजस्थान में राजपूत समाज 9 से 10 प्रतिशत के करीब है। ऐसे में वह विधानसभा में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करता है। लंबे समय से कांग्रेस के नेता पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह भैरोसिंह शेखावत को नजरअंदाज करती रही हैं। वहीं जसवंत सिंह भी बीजेपी से नाराज हुए तो राजनैतिक वजह कुछ भी रही हो, लेकिन इस बार बीजेपी राजपूतों को किसी भी सूरत में खुश करने की कवायद में जुट गई हैं और इसके लिए अभी से प्रयासों को तेज कर दिया गया है। लोकसभा और विधानसभा दोनों में ही राजपूत समाज की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है। चुनाव से पहले ही राजपूत समाज को संगठित कर बीजेपी के पक्ष में करने के राजनैतिक मायने सभी के समझ में आ रहे हैं।

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