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बीकानेर,उदयपुर चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस जहां अपनी कमियों पर पर्दा डालकर पूरी पार्टी को एकजुट दिखाने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इतना भयानक प्लान लेकर आ रही है कि कांग्रेस के होश उड़ जाएंगे.एक दिन पहले बुधवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर कुछ चुनिंदा कैबिनेट मंत्रियों, पार्टी के प्रभारियों और वरिष्ठ सांसदों की एक बैठक हुई. बताया जा रहा है कि बैठक में कई फैसले लिए गए. सूत्र बता रहे हैं कि हर एक सांसद के जिम्मे अब 100 बूथ और विधायकों के जिम्मे 25 बूथ की जिम्मेदारी दी गई है, जहां पार्टी का प्रदर्शन अब तक कमजोर रहा है. इसके अलावा टिकट बांटने को लेकर भी पार्टी ने कई फैसले लिए. पार्टी ने तय किया कि ऐसे मौजूदा सांसद जिनका जन्म 1955 के बाद हुआ है, उन्हें ही 2024 में लोकसभा का टिकट दिया जाएगा. 1955 से पहले पैदा हुए लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा. इसका मतलब यह कि 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को बीजेपी टिकट देने नहीं जा रही है. हालांकि इसमें भी अपवाद मौजूद होंगे. बताया जा रहा है कि अगर यह नियम लागू हुआ तो बीजेपी के फिलहाल 301 सांसदों में से 81 का टिकट ऐसे ही कट जाएगा.

खबर में खास

सबसे ज्यादा बुजुर्ग सांसद उत्तर प्रदेश से
कौन कौन नेता आएंगे इस उम्र की जद में
2019 में हारी 144 सीटों पर जीत की रणनीति
बीजेपी को 144 सीटों पर ऐसे हासिल होगी जीत
पहले बनेगा डेटा, फिर तैयार होगा डोजियर
मतदाता समूहों के साथ संपर्क कार्यक्रम होंगे
सबसे ज्यादा बुजुर्ग सांसद उत्तर प्रदेश से

पार्टी का मानना है कि इस फैसले से नए कार्यकर्ताओं को राजनीति में आगे आने का मौका मिलेगा. पार्टी के एक नेता ने यह भी कहा कि इसे टिकट काटना नहीं कहेंगे, बल्कि अपने से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को बैटन सौंपना कहेंगे. बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव से ही बीजेपी 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल न करने के नियम का पालन कर रही है. मौजूदा यानी 17वीं लोकसभा की बात करें तो बीजेपी के करीब 25 फीसद सांसद 2024 के चुनाव तक 70 साल या उससे अधिक उम्र के हो जाएंगे. 1955 से पहले पैदा हुए सांसदों में सबसे ज्यादा यूपी से 12, गुजरात से 10, कर्नाटक से 9, महाराष्ट्र से 5, झारखंड से 2, बिहार से 6, मध्य प्रदेश से 5 और राजस्थान से 5 हैं.

कौन कौन नेता आएंगे इस उम्र की जद में

मथुरा से सांसद हेमा मालिनी, बेंगलुरू से सांसद सदानंद गौड़ा, जालना से सांसद रव साहब दानवे, गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह, बक्सर से सांसद आश्विनी चौबे, वर्धमान से सांसद एसएस अहलूवालिया, प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी, अंबाला से सांसद रतनलाल कटारिया, चंडीगढ़ से सांसद किरण खेर, बीकानेर से सांसद अर्जुनराम मेघवाल, गोवा से सांसद श्रीपद नाईक, नवसारी से सांसद सीआर पाटिल, पटनासाहिब से सांसद रविशंकर प्रसाद, गुड़गांव से सांसद राव इंद्रजीत सिंह, बेगुसराय से सांसद गिरिराज सिंह, पूर्वी चंपारण से सांसद राधामोहन सिंह, आरा के सांसद आरके सिंह और बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह इस उमसीमा के बंधन में आएंगे.

2019 में हारी 144 सीटों पर जीत की रणनीति

बीजेपी ने देशभर में 74,000 ऐसे बूथों का चयन किया है, जहां पार्टी का परफॉरमेंस कमजोर रहा है. इन बूथों पर मेहनत करने की जिम्मेदारी विधायक और सांसदों को दी गई है. यहां पर विधायक और सांसद के अलावा लोकल प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर और संघ के स्थानीय प्रचारक के साथ कोआर्डिनेट कर बूथ को पावरफुल बनाने का काम करेंगे. साथ ही बीजेपी उन 144 सीटों पर भी फोकस कर रही है, जहां 2019 में उसे हार का सामना करना पड़ा था. संगठन महासचिव बीएल संतोष ने एक प्रेजेंटेशन भी दिया है, जिसमें इन सीटों पर जीतने की रणनीति बताई गई है. बताया जा रहा है कि पहले चरण में पार्टी इन 144 सीटों के बारे में पूरी जानकारी जुटाएगी और फिर वहां के बूथों पर पार्टी को मजबूत किया जाएगा.

बीजेपी को 144 सीटों पर ऐसे हासिल होगी जीत

इन 144 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी माइक्रो लेवल पर काम कर रही है. बताया जा रहा है कि बीजेपी 18 महीनों में काम करने के लिए नेताओं को तीन स्तर पर तैनात करेगी. पहले स्तर पर केंद्रीय समिति काम करेगी, जिसमें राष्ट्रीय नेता का रोल होगा. एक राज्य समिति होगी, जो योजनाओं को धरातल पर क्रियान्वित कराएगी. तीसरा स्तर होगा केंद्रीय मंत्रियों के साथ क्लस्टर समिति ग​तिविधियों की देखरेख और केंद्रीय और राज्य समितियों के बीच समन्वय में सीधे तौर पर शामिल होगी. पार्टी के संगठनात्मक प्रभारी हर 15 दिन में एक रात हर लोकसभा क्षेत्र में बिताएंगे. इसके अलावा पहले के दो महीनों में लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले हर विधानसभा क्षेत्र में एक एक रात बिताएंगे.

पहले बनेगा डेटा, फिर तैयार होगा डोजियर

पक्ष विपक्ष में मसलों के आधार पर डेटा बनाने की जिम्मेदारी लोकसभा टीम पर होगी. इसमें डेटा एनालिसिस के साथ एक डोजियर तैयार किया जाएगा और यह टीम उम्मीदवारों पर भी नजर रखेगी. विपक्ष शासित राज्यों में भी यही रणनीति अपनाई जाएगी. हर लोकसभा सीट के लिए विशेष मीडिया प्रभारी नियु​क्त किए जाएंगे और टीम को उन स्थानीय मीडिया घरानों को भी समझाने की जिम्मेदारी होगी, जो बीजेपी के खिलाफ काम करते हैं. सोशल मीडिया टीम को इस साल दिसंबर तक 144 कमजोर सीटों पर कम से कम 50,000 फॉलोवर बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया है.

मतदाता समूहों के साथ संपर्क कार्यक्रम होंगे

इसके अलावा विभिन्न मतदाता समूहों जैसे युवाओं, लाभार्थी समूहों, सशस्त्र बलों में शामिल लोगों और विभिन्न स्तरों पर सार्वजनिक संपर्क कार्यक्रम शुरू करने का प्लान है. केंद्रीय मंत्रियों को भी सरकारी कार्यक्रमों के लाभार्थियों के साथ अपनी सेल्फी अपलोड करने को कहा गया है. जून से इस पर काम शुरू हो जाएगा और पहले चरण के पूरा होने के बाद इसका मूल्यांकन भी किया जाएगा. उसके बाद आगे की रणनीति पर फोकस किया जाएगा.

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