बीकानेर, राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय पुस्तक मेला रविवार को संपन्न हुआ। दूसरे दिन जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने इसका अवलोकन किया। जिला कलेक्टर ने कहा कि अच्छी पुस्तकें हमारी मार्गदर्शक होती हैं। पुस्तक के माध्यम से एक लेखक अपने अनुभव और ज्ञान को पाठकों से समक्ष रखता है। इसके मद्देनजर हमें ज्ञानवर्धक पुस्तकें नियमित रूप से पढ़नी चाहिए। उन्होंने पुस्तकालय द्वारा आयोजित मेले को उपयोगी बताया। बीकानेर की लेखन परंपरा की सराहना की और कहा कि लेखन की इस समृद्ध परम्परा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी युवाओं पर है। इस दौरान उन्होंने पुस्तकालय का अवलोकन भी किया और यहां रखी गई पुस्तकें देखी। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए अधिक से अधिक रेफरेंस किताबें यहां रखी जाएं। सहायक निदेशक (जनसंपर्क) और पुस्तकालय विकास समिति अध्यक्ष हरि शंकर आचार्य ने पुस्तकालय द्वारा साल भर के आयोजित किए जाने वाले प्रस्तावित कार्यक्रमों के बारे में बताया। इस दौरान नगर विकास न्यास सचिव नरेंद्र सिंह पुरोहित भी मौजूद रहे।
*अंतिम सत्र में की ‘पुस्तक लेखन: ‘कल, आज और कल’ विषय पर चर्चा*
पुस्तक मेले के अंतिम सत्र में ‘पुस्तक लेखन : कल, आज और कल’ विषय पर चर्चा की गई। सत्र के मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सचिव शरद केवलिया थे। अध्यक्षता राजकीय डूंगर महाविद्यालय के सेवानिवृत प्राचार्य डॉ. बीबीएस कपूर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मोइनुदीन कोहरी और खेल लेखक आत्मा राम भाटी मौजूद रहे। केवलिया ने कहा कि राजस्थान में वात परंपरा का अपना इतिहास है। यहां प्रचुर मात्रा में लिखित साहित्य भी है। डॉ. कपूर ने कहा कि पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं होता। यह सदियों से ज्ञान के भंडार के रूप में जानी जाती हैं। कोहरी ने बीकानेर की लेखकीय संभावनाओं के बारे में बताया। भाटी ने कहा कि खेल और बाल लेखन में भी बीकानेर सिरमौर रहा है। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालयाध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने किया। इस दौरान मेले में भागीदारी निभाने वाले सभी प्रकाशकों का स्वागत किया गया।
इस दौरान डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, डॉ. नितिन गोयल, ओमप्रकाश भादानी, कमल किशोर पारीक, केशव जोशी, रजनीश मोदी, महेंद्र प्रकाश, विकास पारीक, तेजकुमार शर्मा, आशीष पुरोहित, शौकत अली, कासिम बीकानेरी आदि मौजूद रहे।