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बीकानेर,परंपरागत भारतीय संगीत, नृत्य, कला का बीकानेर में विरासत संर्वधन संस्थान के बैनर तले नया साधना का केंद्र परवान चढ़ने लगा है। टी एम ऑडिटोरियम में हुआ सुमधुर फिल्मी गीत एवं गजल संध्या को जिसने भी सुना वो मंत्रमुग्ध ही नहीं हुए, बल्कि नवोदित कलाकारों से भावी संगीत के शुभ संकेत भी महसूस कर सके। फिल्म संगीत के सभी आयामों को यहां मंच से हुबहू अवतरित होता अनुभव किया गया। मंच से श्रोताओं की अनुभूतियों या कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों का जिक्र अपनी जगह हैं, परंतु कला के भावी विकास और विस्तार की बात साफ झलकती है। यह काम टी एम ललवानी के साथ जुड़ी टीम कर रहीं है जो भारत सरकार या राजस्थान सरकार की इस विषय की किसी अकादमी या संस्थान से कम नहीं है। इस संस्थान के माध्यम से गायन, वादन और नृत्य नई पीढ़ी को सिखाने का स्कूल चलाया जा रहा है जिसमें सैकड़ों बच्चे दीक्षित हो रहे हैं। यहां केवल सिखाया ही नहीं जाता इन नवोदित कलाकारों को टी एम ऑडिटोरियम में मंच भी दिया जाता है। सुधी श्रोता इन कलाकारों की प्रस्तुति का आकलन भी करते हैं। संगीत नृत्य और कला के कद्रदान टी एम ललवानी खुद प्रेरक बने हुए हैं। उन्होंने कला साधकों के लिए टी एम ऑडिटोरियम बनाया, विरासत संवर्धन संस्थान गठित किया और संगीत, नृत्य कला का स्कूल शुरू किया। आज इस संस्थान का योगदान नवोदित कलाकारों को आगे बढ़ाने और प्रोत्साहन देने में अतुलनीय है। टी एम ललानी ने गीत, संगीत, साहित्य और कला को जीवन में आत्मसात किया है। वे इन कलाओं के कद्रदान भी है। वैसे तो टी एम ललवानी जाने माने उद्योगपति है, परंतु उनकी समाज और देश में पहचान इन क्षेत्रों में विद्वान के रूप में है। विरासत संवर्धन संस्थान बीकानेर ने गठन के बाद अब तक जितने आयोजन किए है वो अपने आप में मिसाल है। देशभर के कलाकारों को बुलाया गया। राजस्थानी गीत संगीत और नृत्य की विरासत का प्रश्रय दिया गया। देखते ही देखते संस्थान और टी एम ऑडिटोरियम संगीत, नृत्य और कला का नया केंद्र बनता जा रहा है। बीकानेर देश में विरासत संवर्धन संस्थान और टी एम ऑडिटोरियम के खातिर भी जाना जाएगा वो दिन भी सुमधुर फिल्मी गीत एवं गजल संध्या जैसे आयोजन को देखते हुए दूर नहीं लगता है।

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