
बीकानेर,बीकानेर की बेटी गीता अग्रवाल का तीसरा एकल काव्य संग्रह ‘काव्य तरणि’ एवं काव्यधारा प्रकाशन हैदराबाद का साझा संकलन ‘किसलय’ जिसमें गीता अग्रवाल की पांच गजलें प्रकाशित हुई हैं का इंदौर में लोकार्पण हुआ!
इसी संदर्भ में ‘किसलय’ एवं ‘मनीषा’ दो साझा संकलनों के साथ आठ एकल पुस्तकों का भव्य लोकार्पण इंदौर में
हुआ!
काव्यधारा के साझा संकलन में गीता अग्रवाल के पति बीकानेर के दामाद की ‘मनीषा’ में रचनाएं हैं। इस प्रकार दोनों पति-पत्नी दक्षिण में हिंदी को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं, सौभाग्य की बात है।
काव्य-धारा साहित्यिक समूह व काव्य-धारा प्रकाशन का आठवां वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 24 अगस्त 2025 मध्य भारत हिंदी सेवा समिति, इंदौर के सभागार में भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। अत्यंत वृहद आयोजन की अध्यक्षता डॉ राजीव शर्मा ने की। मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर और चित्रकार विज्ञान व्रत रहे! विशेष अतिथि के पद पर शोभायमान मध्य प्रदेश के सुप्रतिष्ठित साहित्यकार हरे राम बाजपेई एवं विजय बागरी रहे, गीत ऋषि श्याम मनोहर सीरोठीया सम्माननित अतिथि रहे।
कार्यक्रम का आरम्भ राजस्थान से पधारी कवित्री पायल शर्मा एवं रश्मि शर्मा के मधुर कंठ से हुआ ! कार्यक्रम का सफल संचालन बीकानेर की बेटी लेखिका कवित्री गीता अग्रवाल (संयोजिका), ने किया। गीता अग्रवाल की ‘काव्य तरणि’ का प्रकाशन प्राची डिजिटल नैनीताल से हुआ, गीता अग्रवाल की पुस्तक अमेजॉन, फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध हैं। बीकानेर की बेटी ने दक्षिण में बस कर हिंदी के प्रचार प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाई है, और वह निरंतर कई साहित्यिक समितियों से जुड़कर हिंदी के प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान कर रही हैं।
गर्व की बात है कि काव्यधारा प्रकाशन के वार्षिक साझा संकलन ‘किसलय’ एवं ‘मनीषा’ के साथ आठ और पुस्तकों का लोकार्पण हुआ ।
स्वागत समापन के सम्पन्न होते ही पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। जिसमें विज्ञान व्रत (नोएडा) ‘सामने है आइना’, डाँ.रागिनी शर्मा की ‘नित्यश्री’ तत्पश्चात गीता अग्रवाल( हैदराबाद) की ‘काव्य तरणि’ पायल शर्मा (डूंगरपुर, राजस्थान) की ‘तर्पण’ , रश्मि शर्मा (उदयपुर, राजस्थान) की निशिगंधा, डाॅ. संजीव धानुका( कोलकाता) की ‘छोटे-छोटे डग’, मंजू राठी ‘मनन का कथन’ , मनोरमा शर्मा ‘मनु'( हैदराबाद) ‘दरख्तों के साए में’ एकल संग्रह का लोकार्पण किया गया।
काव्य-धारा के सातवें, आठवें साझा-संकलन 2025 के ‘किसलय’ में विभिन्न प्रांतो के प्रसिद्ध कवियों की रचनाएँ विभिन्न विधाओं में हैं। ‘मनीषा’ साझा संकलन में विभिन्न प्रांतो के 17 कवियों की रचनाएँ हैं। लोकार्पण करतल ध्वनि के मध्य हुआ। काव्यधारा प्रकाशन एवं काव्यधारा साहित्यिक समूह हिंदी के क्षेत्र में प्रयासरत लगातार अनेक ‘एकल काव्य संग्रह’ एवं 8 वर्षों से लगातार विभिन्न प्रांतो के कवियों की रचनाओं से ‘साझा संकलन’ के प्रकाशन में उतर रहा है, यह अपने आपमें एक मिसाल है। साझा संकलन के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए सत्य प्रसन्न, ब्रजेश शर्मा, डॉ ख़ामोश और सुनीता लुल्ला ने संपादन के विभिन्न प्रकल्पों के बारे में जानकारी भी दी।
साझा-संकलन में सम्मिलित सभी कवियों को शाॅल, माला और स्मृति चिह्न भेंट किए गए।
प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापन साझा संकलन के सह संपादक ब्रजेश शर्मा द्वारा प्रेषित किया गया।
दोपहर भोजन उपरांत काव्य सत्र का शुभारंभ हुआ,
जिसका सफल संचालन युवा कवि अभिजीत पाठक (दिल्ली) एवं बृजेश शर्मा द्वारा किया गया।
द्वितीय सत्र में स्थानीय एवं विभिन्न प्रांतो से आए हुए कवियों ने अपनी रचनाओं से सभागार को मधुर गूँज से भर दिया ! जिसमें विकास जोशी ‘वाहिद’,अंकित शुक्ला, डॉ.ऋता शुक्ला, डॉ रवि बंसल, रचना चतुर्वेदी, जय कृष्ण चांडक, गीता अग्रवाल, के पी अग्रवाल, अभिजीत पाठक, मनोरमा शर्मा, ‘मनु’, डॉ.रागिनी शर्मा, विनीता श्रीवास्तव, अनिल कुमार मिश्र ‘उमरिया’, दर्शन लीलानी, भारतीय आशुदानी, ताराचंद लालवानी, लखन डेहरिया, प्रदीप भट्ट (मेरठ), कैलाश सोनी ‘सार्थक’, पायल शर्मा, हेमंत बोर्डिया, विज्ञान व्रत, बृजेश त्रिवेदी, विजय बागरी, ब्रजेश शर्मा, सुनीता लुल्ला, सत्य प्रसन्न, डॉ भागिया ख़ामोश,इत्यादि ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दी ! काव्य पाठ का अंत सुदीर्घ काव्य पाठ सुनीता लुल्ला,तालियों की गड़गड़ाहट के साथ संपन्न हुआ ।
डाॅ राजीव शर्मा ने अध्यक्षीय वक्तव्य में साझा संकलनों की उपयोगिता और इस प्रकार के साहित्यिक आयोजन की गरिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन साहित्य चेतना के लिए समृद्ध धारक हैं। विशेष अतिथि हरे राम बाजपेई ने सभी कवियों के उत्साह का अभिनंदन करते हुए प्रकाशित पुस्तकों और कवियों के साहित्य समर्पण की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रागिनी शर्मा व सुनीता लुल्ला ने अत्यंत भावुक मन से अभ्यर्थना भाव से प्रस्तुत किया। एक प्रांजल और संवेदनशील कथन। विजय बागरी ‘ विजय’ विज्ञान व्रत जी की गरिमामय उपस्थिति को असंख्य धन्यवाद दिया गया। यह एक विस्तृत धन्यवाद का दायरा रहा प्रांतों से आये कवियों के बीच ही समाप्त नहीं हुआ बल्कि काव्यधारा टीम अनेकानेक कवियों के योगदान , प्रकाशन में सहयोग कर्मियों को धन्यवाद दिया।
काव्य-धारा परिवार की यह 2025 के दिन की सफल ऐतिहासिक अविस्मरणीय यात्रा, सितारों भरा पटाक्षेप और आशा के सुनहरे नव स्वप्नों को साकार होने का दम भरते हुए काव्य धारा का अविरल चलता रहेगा यह सफर ।