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बीकानेर,देश में नाट्य कला को प्रोत्साहन देने में बीकानेर थिएटर फेस्टिवल ने नए आयाम स्थापित किए है। इस वर्ष आठवां बीकानेर थिएटर फेस्टिवल आयोजित किया गया। नाट्य कला प्रोत्साहन में भारत और राज्य सरकारों के योगदान से बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का योगदान कम नहीं हैं। इस फेस्टिवल में दर्शकों और कलाकारों का हुजूम रहता है। पूरे देश में नाट्य कला क्षेत्र में इस आयोजन की चर्चा रहती है। बिना किसी सरकारी सहयोग से इतना बड़ा आयोजन नाट्य क्षेत्र को विस्मित करने वाला लगता है। भारत सरकार और राजस्थान सरकार से इस आयोजन में कोई सहायता या योगदान नहीं लिया जाता। फिर भी देश में आठ सालों से पांच दिवसीय बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के सफल आयोजन के चर्चे हैं। सवाल यह है कि सरकार से बिना सहायता के फिर कैसे होता है हर वर्ष यह सफल नाट्य आयोजन ? बीकानेर ही देश में एक ऐसा शहर है जिसमें कला के कद्रदानों ने कलाकारों के लिए व्यक्तिगत रूप से धन खर्च कर ऑडिटोरियम बना दिया। यह थिएटर विरासत की कला को संरक्षण और जीवनदान देने के लिए बनाया है। बीकानेर में टी एम ऑडिटोरियम कला प्रस्तुति और संरक्षण का अद्वितीय स्थल बन गया है। तोलाराम हंसराज डागा चेरिटेबल ट्रस्ट हंसा गेट हाउस भी कला प्रस्तुति स्थल बना हुआ है। टी.एम. लालणी और हंस राज डागा की ओर से हर साल इस फेस्टिवल के लिए ऑडिटोरियम और गेस्ट हाउस सभी सुविधाओं युक्त नि:शुल्क उपलब्ध रहता है। बीकानेर के कलाकार परिवार और यहां के कला प्रेमियों की ओर से आयोजन में हर तरह की मदद मुहैया करवाई जाती है। आश्चर्य यह है कि देश में जहां दानदाता स्कूलें, अस्पताल, मंदिर, धर्मशालाएं, उद्यान और कई सार्वजनिक उपयोग के स्थल बनने में खुशी से धन खर्चते हैं। अस्पताल में पांच रूपए में भोजन दिया जा रहा है। गायों को चारा, कुत्तों को रोटी समेत दान पुण्य के नित्य प्रकल्प चल रहे हैं। वही कला को संरक्षण देने के लिए बीकानेर में टी एम ऑडिटोरियम तथा हंसा गेस्ट हाउस पिछले आठ वर्षों से बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का केंद्र बना हुआ है। इस आयोजन में 22 राज्यों के करीब 1900 कलाकारों ने प्रस्तुति दी है। एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का तथा कई राष्ट्रीय स्तर के नाटक यहां प्ले किए गए हैं। इस आयोजन से देश में नाट्य विधा का परिष्कार हो रहा है। इस परिष्कार में कला कद्रदान टी एम लालनी विरासत, तोला राम हंस राज डागा चेरिटेबल ट्रस्ट,विल्वसम, होटल मिलेनियम, जिला प्रशासन, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, उत्तर क्षेत्र संस्कृति केंद्र,पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उत्तर पश्चिमी रेलवे बीकानेर, समेत 21 संस्थाओं का सहयोग रहता है। सुधेश व्यास की बीकानेर थिएटर फेस्टिवल की परिकल्पना अब बीकानेर के हर नाट्य कला प्रेमियों का अपना बन गया है। हर साल नाट्य प्रस्तुतियों की नई नई परिकल्पना की जाती है और कला प्रेमी लोग मिल जुलकर इसे बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के रूप में मंच देते हैं। यह आयोजन इसी नक्शे कदम पर चलता रहा तो आने वाले वर्षों में देश का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल बन सकता है।

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