Trending Now












बीकानेर; अब पहले जैसा नहीं रहा ?शायर अज़ीज़ आज़ाद की आँखों में आंसू आ रहे होंगे। क्योंकि उन्होंने लिखा था – अरे, बन्दे- कुछ दिन तो मेरे शहर( बीकानेर) में ठहर कर देखो- सारा ज़हर उत्तर जाएगा, सारे ग़म भूल जाओगे। क्योकि यहाँ का मस्ती भरा वातावरण , पाटो पर गप्प- शप, मिंडा महाराज की कचौड़ी,छोटू- मोटू जोशी के रसगुल्ले, चाय पट्टी पर बूला महाराज की चाय- किराडू जी का पान- आपके सारे तनाव को दूर कर देगा। यहाँ के भाईचारे और अमन की देश में मिसाले दी जाती हैं। लेकिन अब मेरा शहर पहले जैसा नहीं रहा। न जाने किस की नज़र लग गई। रसगुल्लों की मिठास, हल्दीराम की नमकीन, भुजिया ना जाने कहाँ चली गई। अब तो बीकानेर मिलावटखोरो, नक़ली नोटों, सटोरियों और नकलची के नाम से पहचाना-जाना जाता हैं। मिलावट खोरो ने हद कर दी। तेल- घीं नक़ली, मसाले नक़ली- मावा- मिठाई नक़ली और तो और दूध नक़ली — कुछ रहा ही नहीं असली। नक़ली की ऐसी लत लगी कि नक़ली नोट भी लाखों की संख्या में बीकानेर में छपने लग गये। जवाहरात में मशहूर बीकानेर में सोना नक़ली- मोती नक़ली बिकने लग गये। अब प्रीतियोगता परीक्षा में नक़ल करवाना भी यहाँ के लोगो का व्यवसाय बन गया। वैसे तो क्रिकेट सट्टा, हवाला, वायदा बाज़ार के सटोरियों ने बीकानेर की छवि को धूमिल किया हुआ ही था अब प्रतियोगी परीक्षा में विभिन्न तरीको से नक़ल करवा कर बीकानेर की छवि पर कालिख पोत दी गई हैं। पिछले कुछ समय से प्रतियोगी परीक्षा में नक़ल कराने वाला गिरोह बीकानेर में सक्रिय रहा हैं। रीट, पटवारी, उपनिरीक्षक, ईओ,-आरओ सहित अन्य भर्ती परीक्षाओं में नक़ल का बवण्डर उठता रहा हैं जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं से लोगो का भरोसा उठ गया हैं। इन प्रक्कनों में नक़ल गिरोह के सरग़ना तुलसाराम कालेर, गौरव कालेर की भूमिका भी सामने आई थी। नक़ल करवाने के नये नये तरीक़े इन लोगो ने ईजाद किए हैं। कभी चपल में सिम लगा कर, कभी बालों की विग् में सिम लगा कर इन लोगो ने नक़ल करवाई हैं। तुलसाराम का जयनारायण व्यास कालोनी में कोचिंग सेण्टर था ख़ैर बाद में तो पूरे प्रदेश में नक़ल माफिया सक्रिय रहा। आरपीएस के मेम्बरान तक नक़ल में सम्मिलित रहे। सरकार भी सख़्त हुई। जब तक कई होनहार अपना भविष्य ख़राब कर चुके थे। पुलिस अपनी छान- बीन कर रही हैं नक़ल माफ़ियो को पकड़ रही है। लेकिन बीकानेर का नाम देश में ही नहीं विदेशों में भी ख़राब ही हुआ हैं। हमारे नगर की छवि को ज़बरदस्त बट्टा लग रहा हैं। अब वक्त आ गया हैं। ऐसे असामाजिक तत्वों का हम बहिष्कार करे। ताकि मेरा प्यारा बीकानेर प्यारा बीकानेर ही बना रहे। इसकी छवि में और चार- चाँद लगे ऐसे प्रयास हो। बीकानेर साहित्यकारों , कवियों , बुद्धिजीवियों की नगरी ऐसे थोड़े ही कहा जाता हैं।

Author