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बीकानेर.बीकानेर में पहले भी नकली दूध, मावा, घी व तेल पकड़ा जा चुका है। नकली मावा व घी के गढ़ के रूप में बीकानेर कुख्यात रहा है। अगर क्षेत्रवार बात करें, तो डूंगरगढ़-लूणकरनसर में नकली मावा बनाने का कारोबार बड़े पैमाने पर चलता है। इसी तरह नोखा में नकली घी और बीकानेर खास में नकली मावा और घी दोनों का कारोबार पिछले कई सालों में फला-फूला है।जयपुर रोड पर दो साल पहले निजी डेयरी में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा ने स्वयं दूध की 22 टंकियां बरामद कर सीज की थीं। निजी डेयरी की खुद की लैब में भी दूध गुणवत्ताहीन ही मिला था। उस डेयरी में अब तक तीन बार नकली दूध बरामद हो चुका है। नोखा में दो साल पहले सबसे बड़ी नकली घी बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। बीकानेर से भेजा गया नकली मावा प्रदेश व राज्य से बाहर दूसरी जगहों पर भी पकड़ा जा चुका है। आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो पिछले दो साल में बीकानेर में करीब 1500 क्विंटल से अधिक नकली व गुणवत्ताहीन मावा बरामद किया जा चुका है।

खपत से आधा दूध
सूत्रों की मानें तो अभी दूध की खपत चौगुनी बढ़ गई है, जबकि दूध का उत्पादन कम है। ऐसे में केमिकल से दूध तैयार कर मुनाफा कमाने में कुछ लोग सक्रिय हो गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में वर्तमान में प्रतिदिन 7 से 9 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है, जबकि मांग 15-17 लाख लीटर की है। डेयरी के सूत्रों के मुताबिक दूधारू गायों की मौत के बाद दूध के दाम बढ़ गए हैं। दूध का उत्पादन भी कम हो गया है। प्रदेश में करीब 12 लाख लीटर दूध का उत्पादन कम हो गया है। ऐसे में नकली दूध तैयार किया जाने लगा है।

इनका कहना है…
मिलावटी दूध पकड़ा गया है, जिसके सैम्पल जांच के लिए भेजे गए हैं। त्योहारी सीजन को देखते हुए शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को सख्ती एवं नियमित रूप से चलाया जाएगा। मिलावटखोरों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

डॉ. अबरार अहमद, सीएमएचओ

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