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बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया एवं सचिव वीरेंद्र किराडू ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों से संबंधित मुद्दों पर टाऊन हॉल बैठक में पधारे रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के महाप्रबंधक डॉ. मुकेश कुमार का स्वागत करते हुए नए उद्योग व व्यापार सृजन हेतु बैंकों से लिए जाने वाले ऋण में आ रही समस्याओं से अवगत करवाते हुए बताया कि रिजर्व बैंक की योजनानुसार फ़ूड एंड एग्रो इंडस्ट्री के लिए पुरानी व्यवस्था अनुसार केवल मात्र 100 करोड़ रूपये तक का लोन देने की स्कीम है आज के समय में रनिंग केपिटल, फिक्स केपिटल, रॉ मेटेरियल के भाव को मिलाकर लगने वाली इंडस्ट्री में 200 से 250 करोड़ तक का इन्वेस्टमेंट होने लगा है | इसलिए इस पुरानी व्यवस्था में बदलाव करते हुए 250 करोड़ रूपये तक किया जाए | साथ ही बैंकों द्वारा ऋण आवेदन पत्र विशेषकर सरकारी ऋण योजनाओं को गंभीरता से ना लेते हुए लोन लंबे समय तक पेंडिंग रहते हैं एवं कोशिश भी की जाती है कि किसी भी प्रकार यह आवेदन निरस्त हो जाए मुद्रा लोन एवं सरकारी योजनाओं के ऋणों पर 1.5 प्रतिशत सीजीटीएमएसई की फीस ऋण आवेदक से वसूली जाती है जो कि बैंक द्वारा दिए गये लोन की सुरक्षा के एवज में ली जाती है इस लगने वाली फीस का भुगतान बैंक द्वारा ही किया जाना चाहिए | बैंकों से ऋण लेने में उत्पन्न इन्ही समस्याओं के कारण ऋण आवेदक को नोन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों से ऋण लेना पड़ता है जिसमें उन्हें 24 से 36 प्रतिशत तक ब्याज सहित विभिन्न चार्ज का भुगतान करना पड़ता है और उद्यमी बड़े ब्याज के जाल में फंस जाता है और धीरे धीरे कारोबार को बंद करने की नौबत आ जाती है |

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