बीकानेर, जी.एस.टी. लागू होने पर आ रही अड़चनों को दूर करने एवं व्यापारियों की सुविधाओं की दृष्टि से वाणिज्यिक कर विभाग का समग्र पुनर्गठन किया जाएगा तथा जी.एस.टी. ऑडिट और एंटीएवेजन कार्य को सुदृढ़ीकरण के लिए वित्त विभाग में ऑडिट प्राधिकरण एवं बिजनैस इंटेजिलैंस यूनिट का गठन किया जाएगा।
बीकानेर व्यापार एसोसिएशन के संयोजक सुरेंद्र पटवा, वेदप्रकाश अग्रवाल व बीकानेर पापड़-भुजिया मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वेदप्रकाश ने संयुक्त रूप से पत्र लिखकर कहा कि सी.एम. अशोक गहलोत द्वारा अपनी बजट घोषणा के अन्तर्गत घोषित किया गया था कि वाणिज्य कर विभाग (स्टेट जी.एस.टी.. का पुनर्गठन करदाताओं को राहत पहुंचाने एवं टैक्स चोरी को रोकने के उद्देश्य से किया जाएगा। इस घोषणा से जी.एस.टी. की जटिलता से पीड़ित करदाता व्यापारियों में
आशा का संचार हुआ, लेकिन परन्तु बड़े ही खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा जल्दबाजी में एकतरफा कार्रवाई करते हुए बिना व्यापारिक संगठनों से विचार विमर्श किए वित्त विभाग द्वारा विभाग के पुनर्गठन का आदेश जारी कर दिया गया।
अग्रवाल व पटवा ने बताया कि उक्त आदेशों को देखते हुए यह आभास होता है कि विभाग के उच्च अधिकारियों ने जयपुर स्थित विभागीय अधिकारियों के साथ मिल बैठकर राज्य भर में फैले व्यापारियों के हितों को नजरअन्दाज करते हुए विभागीय शक्तियों को विकेन्द्रीकृत करने के बजाय पुनर्गठन द्वारा जयपुर स्तर का केन्द्रीयकरण कर दिया गया है, जबकि पुनर्गठन की आपकी घोषणा से व्यापारी वर्ग में यह आशा थी कि अधिकारियों की शक्तियों का विकेन्द्रीकरण होगा तथा करदाता के
हितों की रक्षा की जाएगी। उन्होंने सी. एम. गहलोत से इस पुनर्गठन के संबंध में व्यक्तिगत रूचि, संज्ञान, विस्तृत जानकारी लेकर ही इसे लागू करने की मांग की। पुनर्गठन में पूर्व में गठित जोनल संभागीय एन्टी इवेजन इकाईयों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय स्वागत योग्य है। पुनर्गठन में टैक्स पेयर्स केयर यूनिट का गठन का प्रस्ताव भी स्वागत योग्य है। इसको और अधिक उपयोग बनाए जाने की आवश्यकता है, इस यूनिट का संभागीय स्तर पर विस्तार किया जाना चाहिए, इसमें व्यापारिक संगठनों एवं अधिवक्ताओं को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि पुनर्गठन को पूर्ण रूप से लागू करने से पूर्व संभाग स्तरीय व्यापारिक संगठनों, चार्टर्ड अकाऊंटैंटों एवं जी.एस.टी. संबंधी अधिवक्ताओं के संगठनों से विचार विमर्श किया जाए तथा अधिकारियों की शक्तियों का विकेन्द्रीकरण किया जाए तथा इस तरह का माहौल पैदा किया जाय कि करदाताओं को अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।