
बीकानेर,जयपुर,प्रदेश सरकार ने पंचायत राज में शिक्षकों को नियुक्ति देते समय नियम बना रखा है कि शिक्षक कम से कम तीन साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देंगे। इसके बाद ही उसका स्थानांतरण शहरी क्षेत्र के स्कूल में किया जा सकता। समायोजन के लिए जारी गाइडलाइन में भी उल्लेख है कि ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापित शिक्षक के अधिशेष होने पर समायोजन ग्रामीण क्षेत्र में ही किया जाएगा। जबकि हकीकत है कि समायोजन की आड़ में चहेतों या सिफारिश वाले ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों को शहरी क्षेत्र में लगाया गया है। शिक्षक वर्ग ऐसा करने वाले अधिकारियों की मंशा और समायोजन की पादर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।
शिक्षा विभाग में डेपुटेशन और एपीओ कर मनचाहे स्थान पर पदस्थापन करने का खेल चलता रहा है। अब समायोजन में भी शिक्षकों को मनचाही जगह भेजा जा रहा है। इसमें कई तो ऐसे हैं जिनकी नौकरी लगे एक साल भी नहीं हुआ है और शहर के स्कूलों में नियुक्त कर दिए गए हैं। प्रदेश में ऐसे ही 19 हजार शिक्षकों का समायोजन किया है, जिसमें 1500 से अधिक शिक्षकों को ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में लगाने की बात सामने आई है।
जेस नाथ की नियुक्ति 2023 में पांचू ब्लॉक के स्कूल में शिक्षक लेवल-2 के पद पर हुई थी। समायोजन की आड़ में उन्हें शहरी क्षेत्र वल्लभ नगर (बीकानेर) के सरकारी स्कूल में लगाया गया है।
वैभव कुमार शर्मा की नियुक्ति 2024 में कोलायत ब्लॉक में शिक्षक लेवल-2 के पद पर हुई। अभी नौकरी लगे ज्यादा समय भी नहीं हुआ है। समायोजन के दौरान उन्हें नवीन पदस्थापन मुक्ताप्रसाद नगर बीकानेर शहर में किया गया है।
कनिष्ठ को अधिशेष माना:
विभाग की गाइड लाइन के अनुसार कनिष्ठ शिक्षकों को उन्हीं स्कूलों में रखा गया है जहां पर वे पहले से कार्यरत है। अधिकांश स्थानों में कनिष्ठ शिक्षकों को ही गाइडलाइन के मुताबिक अधिशेष माना गया है। इसलिए समायोजन में कनिष्ठ कार्मिकों को प्राथमिकता दी गई है।
कृष्ण कुणाल, स्कूल शिक्षा सचिव, राजस्थान सरकार
नियम विरुद्ध किया गया समायोजन:
ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में नियमों के विपरित समायोजन कर पदस्थापन देने से वरिष्ठ शिक्षकों को शहर आने का मौका नहीं मिलेगा। समायोजन की आड़ में एक-दो साल में लगे शिक्षकों को शहर में लगाना 6डी नियम का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। किशोर पुरोहित, प्रदेशाध्यक्ष शिक्षक संघ भगतसिंह
धरे रह गए 6डी के नियम:
राज्य सरकार का नियम है कि पंचायत राज के शिक्षकों के तीन साल ग्रामीण क्षेत्र में पूरे होने के बाद उन्हें 6डी का लाभ देकर शिक्षा विभाग में शामिल किया जाता है। फिर उन शिक्षकों के वेतन आदि की व्यवस्था पंचायत राज की जगह शिक्षा विभाग के माध्यम से की जाती है। अभी समायोजन की आड़ में विभाग के अधिकारियों ने 6डी के नियमों को दरकिनार कर एक-दो साल की नौकरी करने वाले शिक्षकों को ही 6डी का लाभ दे दिया। ऐसे में वरिष्ठ शिक्षकों के साथ अन्याय हो रहा है।