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बीकानेर,बिहार के चुनाव में नतीजे जो कुछ भी रहे परन्तु यह राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य को जरूर इंगित करेगी। वैसे मोदी सरकार की उपलब्धियां और मोदी का आभा मंडल का असर इस चुनाव पर भी दिखाई देगा। वहीं राष्ट्रीय मुद्दों की भी प्रतिछाया रहेगी। वैसे बिहार में आरजेडी ने 243 सीटों में से सांझा चुनाव में कांग्रेस को केवल 60 सीटें दी है। वो भी पूरी नहीं हो पाई। छह सीटों का लोचा पड़ गया है। राहुल गांधी और आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव की सांझा चुनाव रैली मतदाताओं पर क्या असर छोडेगी यह तो मतदान के दिन ही पता चल पाएगा, परन्तु यह बात तो अभी दिखाई देती है कि बिहार में कांग्रेस तेजस्वी यादव के सामने नतमस्तक है। साझा घोषणा पत्र में कांग्रेस अदृश्य है और घोषणा पत्र को आरजेडी ने तेजस्वी प्रण नाम दिया है। हालांकि चुनावी विश्लेषण जरूरी नहीं है कि सटीक बैठे परन्तु विश्लेषकों का यह भी दावा है कि बिहार विधानसभा 2025 के चुनाव में भाजपानीत NDA बहुमत की ओर अग्रसर दिखाई पड़ता है तो वहीं राहुल तेजस्वी के महागठबंधन को करारी पराजय के साथ 80 से 90 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है। चुनावी विश्लेषण और ओपिनियन पोल अभी तक कई उतार चढाव आने है।
बिहार देश का दुसरे नम्बर बड़ा राज्य है। यहां के राजनीतिक समीकरण भी जातीय, क्षेत्रीय और सत्ता विरोधी माहौल से बन बिगड़ सकते हैं। भाजपानीत एनडीए और महागठन बंधन इस चुनाव के माध्यम से राष्ट्रीय राजनीति को नई दिशा देने के प्रयास में जुटे हुए हैं। चुनावों के दौरान राजनीतिक माहौल और राजनीतिक दलों की स्थिति और गठबंधन के बाद सामने आ रही समीकरणों के आधार पर चुनावी विश्लेषक रमेश अरोड़ा का आकलन है कि भाजपानीत एनडीए बिहार में ज्यादा वोट प्रतिशत हासिल कर जीत की ओर से अग्रसर रहेगी।
अरोडा के विश्लेषणके आधार पर एनडीए को 41 से 43 प्रतिशत वोट मिलेंगे। इससे सीटों की संख्या 150 से 170 तक पहुंच जाएगी। वहीं महागठबंधन का वोट प्रतिशत 35 से 37 रहेगा और सीटें 80 से 90 के बीच रहेगी। जेएस (प्रशांत ) 6-7 प्रतिशत वोट और सीटें 0-3 के बीच मानी है। अन्यों का वोट प्रतिशत 18 से 20 और सीटें 8 से 10 बताई गई है। चार्ट में पार्टीवार सीटों का आकलन निम्न प्रकार बताया गया है।
पार्टी ———– वोट% ——— सीट

NDA ———–41-43%– 150-170

महागठबंधन — 35-37 ——80-90

JS (प्रशांत)—– 6-7 ———- 0- 3

अन्य ————- 18-20——- 8-10

इसमें nda की सीटों को पार्टीवार देखे तो

भाजपा 70-80

नीतीश 60-70

सहयोगी 18-20

और महागठबंधन में

RJD 55-60

कांग्रेस 8-10

सहयोगी 18-20

हालांकि यह प्रारंभिक विश्लेषण है अभी मतदान की अवधि तक कई बदलाव आ सकते हैं। परन्तु सत्ता विरोधी लहर, राष्ट्रीय मुद्दे और मोदी के आभा मंडल का प्रभाव कम होने वाला नहीं है। चुनावी घोषणा पत्रों का भी जन मानस में असर रहेगा। बिहार के मतदाताओं में भाजपानीत एनडीए सरकार के प्रति रूख रहेगा?

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