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बीकानेर,छत्तीसगढ़ में सीएम के नाम पर 3 दिसंबर से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया. बीजेपी ने सूबे में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने सीएम पद के लिए विष्णुदेव साय के नाम पर मुहर लगाई है.

बताया जा रहा है कि विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों ने विष्णुदेव साय के नाम पर सहमति जताई. खुद रमन सिंह ने भी साय का खुलकर समर्थन किया. विष्णुदेव साय प्रदेश की राजनीति में बड़ा आदिवासी चेहरा हैं. वह कुनकुरी से विधायक हैं. साय रायगढ़ से सांसद भी रह चुके हैं.

विष्णुदेव साय रायगढ़ से 4 बार (1999-2014) सांसद चुने गए. नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साय ने केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें बीजेपी ने मैदान में नहीं उतारा था, क्योंकि बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपने किसी भी मौजूदा सांसद को नहीं दोहराने का फैसला किया था. इसके साथ ही विष्णुदेव साय प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष भी हैं. जून 2020 में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था. वह अगस्त 2022 तक प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के पद पर रहे.

कुनकुरी से विधायक हैं साय

विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ की कुनकुरी विधानसभा से आते हैं. राज्य में आदिवासी समुदाय की आबादी सबसे अधिक है. विष्णुदेव इसी समुदाय से हैं. अजित जोगी के बाद छत्तीसगढ़ में इस समुदाय से कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं बन सका था. बीजेपी इस बार आदिवासी समुदाय से आने वाले साय के ज़रिये पूरे देश में मैसेज दे रही है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं. अब उस पर क्लीन स्वीप कराने की ज़िम्मेदारी साय की होगी. 2019 में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 9 सीटों पर जीत हासिल की थी.

1980 में जॉइन की थी बीजेपी

विष्णुदेव साय 1980 में बीजेपी में शामिल हुए थे. पार्टी को मजबूत करने के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ में जमीनी स्तर पर काम किया. इतना ही नहीं, राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के लिए उन्होंने कई बार अहम भूमिका भी निभाई है. वह 2 बार विधायक भी रह चुके हैं.

सीएम बनने के बाद विष्णुदेव साय का पहला रिएक्शन

सीएम के नाम का ऐलान होने के बाद विष्णुदेव साय की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर मैं अपनी सरकार के जरिए पीएम मोदी की गारंटी को पूरा करने की कोशिश करूंगा. आवास योजना के हितग्राहियों के लिए 18 लाख आवास स्वीकृत करना नई छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया जाने वाला पहला कार्य होगा.

सरपंच के रूप में शुरू हुआ राजनीतिक सफर

बता दें कि विष्णुदेव साय ने अपना राजनीतिक करियर एक गांव के सरपंच के रूप में शुरू किया. इसके बाद उन्होंने महत्वपूर्ण संगठनात्मक भूमिकाएं निभाईं. साथ ही केंद्रीय मंत्री और कई बार लोकसभा सांसद बने. अपने परिवार की समृद्ध राजनीतिक विरासत और केंद्रीय मंत्री रहते हुए महत्वपूर्ण विभागों को संभालने के बावजूद 59 वर्षीय आदिवासी नेता विष्णुदेव साय अपनी विनम्रता, जमीन से जुड़े स्वभाव, काम के प्रति समर्पण और लक्ष्यों को प्राप्त करने के दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाते हैं.

राजनीति से रहा है पुराना रिश्ता

सरपंच के रूप में राजनीतिक करियर शुरू करने वाले साय तेजी से आगे बढ़े और 2014 में केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली मंत्रिपरिषद के सदस्य बने. हालांकि वह आदिवासी बहुल जशपुर जिले के एक छोटे से गांव बगिया में स्थित एक किसान परिवार से हैं, लेकिन राजनीति उनके खून में है.

उनके दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय 1947 से 1952 तक विधायक रहे थे. उनके ‘बड़े पिता जी’ (उनके पिता के बड़े भाई) स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय जनसंघ के सदस्य थे और 2 बार विधायक ( 1962-67 और 1972-77) रहे. जबति एक बार सांसद (1977-79) के रूप में चुने गए और जनता पार्टी सरकार में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. उनके पिता स्वर्गीय केदारनाथ साई के एक और बड़े भाई भी जनसंघ के सदस्य थे और तपकारा से विधायक (1967-72) रहे थे.

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