जयपुर। कांग्रेस की जयुपर रैली के बाद एक बार फिर अब राजनीतिक नियुक्तियों की चर्चा शुरू हो गई है। इस सप्ताह बड़ी तादाद में नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां देने की संभावना है। तीन साल से खाली बोर्ड-निगमों और आयोगों में अध्यक्ष बनाकर विधायकों को राजी करने पर विचार चल रहा है। संसदीय सचिव बनाए जाने पर भी इसी सप्ताह फैसले के आसार हैं। कांग्रेस की रैली के कारण यह काम अटक गया था, जिसे अब फिर से गति मिलने के आसार हैं।
17 दिसंबर को गहलोत सरकार की तीसरी वर्षगांठ है। इसी के आसपास संसदीय सचिवों की नियुक्ति के साथ बोर्ड निगमों में अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद कई विधायक नाराज हैं। उन्हें अब बोर्ड- निगमों में अध्यक्ष बनाकर या ससंदीय सचिव बनाकर राजी किया जाएगा। बसपा से कांग्रेस में आए 5 में से तीन विधायकों को खाली पड़े बोर्डों में अध्यक्ष बनाया जा सकता है। एक से दो को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है। निर्दलियों और कांग्रेस विधायकों को भी एडजस्ट किया जाएगा।
तीन साल से खाली पड़े हैं बोर्ड, आयोग अध्यक्षों और सदस्यों के पद
सरकार बने 17 दिसंबर को तीन साल पूरे हो रहे हैं। बोर्ड, निगमों और आयोगों में अध्यक्ष-सदस्यों के पद 3 साल से खाली चल रहे हैं। इनमें नेताओं को अध्यक्ष-सदस्यों के खाली पदों पर एडजस्ट किया जाएगा।
इन निगम, समितियों, प्राधिकरणों में अध्यक्ष-सदस्यों के पद खाली
राजस्थान पर्यटन विकास निगम आरटीडीसी, राजस्थान राज्य बीज निगम, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, लघु उद्योग विकास निगम, बुनकर सहकारी संघ,मेला विकास प्राधिकरण, जयपुर, जोधपुर,अजमेर विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष पद, 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति में उपाध्यक्ष और सदस्य, सेंटर फॉर डेवलपमट ऑफ वॉलेंटरी सेक्टर।
7 अकादमियों में अध्यक्ष पर पर नियुक्तियां बाकी
साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, संस्कृत अकादमी, बृजभाषा अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, सिंधी भाषा अकादमी।
14 यूआईटी के अध्यक्ष पद खाली
आबू, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर,चित्तौडग़ढ़, जैसलमेर, कोटा, पाली, सीकर, श्रीगंगानगर, सवाईमाधोपुर, उदयपुर यूआईटी में अध्यक्ष।
विधायकों को मंत्री का दर्जा और वेतन-भत्ते नहीं मिलेंगे
विधायकों को बोर्ड, निगमों और आयोगों में अध्यक्ष पद से लेकर संसदीय सचिव तक बनाए जाने पर मंत्री का दर्जा, वेतन भत्ते नहीं मिलेंगे। विधायकों को लाभ के पद के दायरे से बाहर करने के लिए यह तरकीब निकाली है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह पैटर्न अपनाने के संकेत दे चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और कानूनी प्रावधानों के अनुसार, विधायक-मंत्री को छोड़कर कोई भी ऐसे पद पर नहीं रह सकता, जिसमें वेतन भत्ते मिलते हो। 6 विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाए जाने पर बीजेपी ने लाभ का पद होने का सवाल उठाते हुए राज्यपाल से शिकायत की थी। मुख्यमंत्री के सलाहकारों को वेतन भत्ते और मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा।