बीकानेर,गायों में आई जावलेवा बीमारी से बचाव के लिए जनता जो कुछ कर सकती है कर रही है। प्रदेश में गोधन की बड़ी हानि हुई है और होती जा रही है। डेरियों में दूध की आवक घट गई है पशु पालक का रोजगार छीन गया है। अभी तो जिसकी गाय मरी है उसको ही दर्द है। बहुत जल्दी यह दर्द एयर कंडीशन में बैठे लोगों को दूध की कमी, अर्थव्यवस्था पर असर के रूप में भुगतना पड़ेगा। गांवों में गोधन कमोबेश आधा रह गया है। सरकारी व्यवस्था के उपचार कारगर नहीं है। बचाव के जनता ही अपने स्तर पर देशी इलाज की व्यवस्था चला रही है। रोग के लक्षण होने पर अन्य गायों से अलग रखने, उपले गुगल और कपूर का धुआं करने, 50 लीटर पानी में नीम की पत्ती, हल्दी को उबालकर 250 ग्राम फिटकरी मिलाकर घोल का छिड़काव करने, देशी गाय का घी 50 ग्राम, काली मिर्च 25 ग्राम, हल्दी 25 ग्राम, बुरा चीनी 50 ग्राम घी में मिलाकर लड्डू गाय को चार पांच दिन खिलाएं। यह उपचार अथवा अन्य देशी उपचार लोग सेवा की भावना से कर रहे हैं। युवक गांव गांव में गो सेवा केंद्र चला रहे हैं। गोमाता को रोग बचाव करने की आस्था की इंतहा तब होती है कि हमारी गो माता इस बीमारी से मुक्त हो जाए इसलिए महिलाएं ठंडा पका कर शीतला माता की पूजा कर रही है। जब चेचक ( माता) की कोई दवा नहीं थी तब संतानों की स्वास्थ्य की कामना से शीतला माता की पूजा की जाती थी। अब विज्ञान का जमाना है। लपी वायरस से गाएं बीमार हो रही है। विज्ञान के युग में गोमाता के स्वस्थ रहने की कामना में यह पूजा भले ही दकियानूसी लगे, परंतु महिलाओं की भावना क्या दर्शाती है ? सरकारी व्यवस्था को समझने की जरूरत है। मुख्यमंत्री जी वीसी से समीक्षा करने से स्थिति का पता भले ही लग जाए, परंतु प्रशासनिक तंत्र जनता के साथ कंधा से कंधा मिलाकर नहीं खड़ा है। जिसकी गाय मरती है वे ही पीड़ित है। सरकार और प्रशासन तो दिखावे के आंसू बहा रहे हैं। पूरे प्रदेश में लाखों गोधन इस बीमारी से काल के गाल में चला गया है। सरकार के पास आंकड़े नहीं है। जो बताए जा रहे है वे सही नहीं है। बीकानेर में बीमार गायों की सेवा में यहां के लोगों ने कोई कमी नहीं रखी है। मन्नू बाबू की मिठाई की दुकान में सेवा भावना से गायों के लिए आयुर्वेदिक लड्डू बनाने के काम में कारीगर लगे है। उनकी पीड़ा है कि बीमार गायों को कैंप तक पहुंचाने और मृत गो माता को उठाने में ही निगम मदद नहीं कर रहा है। इससे वायरस फैल जाता है। वास्तव में सरकार और प्रशासन गंभीर नहीं है। घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। सेवा करने वाले लोगों का कहना हैं कि अब हम गौ भक्त कहां जाए इतने दिन कलेक्टर महोदय ने यही कहा आयुक्त नगर निगम बीमार गोवंश कोरन्टाईन क्षेत्र तक पहुंचाने के लिए आप गौ भक्तों को वाहन उपलब्ध करवाएगा और आयुक्त महोदय ने भी स्वीकार किया था एक ट्रॉली दी भी थी लेकिन वह ड्राइवर आधे दिन ही हमारे साथ चला जेडी भाई के साथ फिर कभी बेरिंग टूटने का कभी खराब ट्रैक्टर खराब होने का बहाना लेता रहा।। आज आयुक्त महोदय कह रहे हैं यह कार्य पशुपालन विभाग का है हमारा है नहीं। समझे मुख्यमंत्री जी इनकी यह भी जिम्मेदारी नहीं है कि जनता को सहयोग करें। फिर आप ढिढौरा पिटोगे सरकार ने यह कर दिया वो कर दिया। आयुक्त के जवाब को ऑडियो सुन लेना। गो भक्तो की अपील :_राजस्थान में गौ माता में फैले लम्पि रोग से बचाव हेतु हर घर में महिलाओं द्वारा तैयार कर *लड्डू* अगर गौमाता को देना शुरू कर तो काफी मात्रा में गौवंश को बचाया जा सकता है
आईये हम भी प्रयास करें :-
15 kg बाजरी का मोटा आटा
2kg घी या सरसों तेल
1 kg अजवायन
1 kg हल्दी
half kg काली जीरो (मंगरैला)
5 kg गुड़
150 gm काली मिर्च powder
250 दाना मैथी powder मोटा
घी में बाजरी आटा को सर्वप्रथम अच्छे से सेक ले फिर सभी सामग्री इसमें मिला कर तैयार कर ले ।
*गौ धन मित्र*
इन सभी सामग्री को मिला कर बनता है लम्पि रोग नासक लड्डू जिससे गौ माता को इस रोग से काफी आराम आ जाता है 3 दिन तक रोज एक लड्डू गौ माता को खिलाना है। केंद्र सरकार राज्य सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया कोई भी वास्तविक स्थिति जनता के सामने नहीं ला रही है। लम्पी स्किन महामारी से लाखों गाये मर चुकी है। सरकार की आंख नहीं खुल रही है जो किसान केवल दुध बेंच कर घर चलातें थे, उनकी स्थिति बहुत ख़राब हो गई है, क्योंकि ऐसे किसान एक या दो गाय रखते थे, वह भी इस महामारी की चपेट में आने से मर चुकी है, और तो और जो गरीब किसान थे उन्होंने जैसे तैसे करके गाय ख़रीदीं, घर पर बच्चों के लिए दुध छाछ के लिए, वह भी गाये इस महामारी की चपेट में आ चुकी है।
गायों की अनगिनत मौत हो रही है, अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कोई भी राजनेता इस मुद्दे पर बात नहीं कर रहा है,,
सरकार इन बातों पर ध्यान दें :_
1=महामारी पर काबू पाने के लिए जल्दी से जल्दी सब जगह वैक्सीन पहुंचाएं ।
2= वेटरनरी डाक्टर, पशुधन सहायक को घर घर जाकर संक्रमित पशुओं के टिकें लगानें, एवं पशु की उचित देखभाल के लिए निर्देशित किया जाएं।
3=आवारा गौवंश जो इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं उनके इलाज के लिए, मृत गौमाताओं को जमीन में दफनाने के लिए पंचायत कोटे में अलग से बजट दे।
4=जिन पशु पालकों की इस महामारी से गाये मर चुकी है उनको उचित आर्थिक सहायता दी जाए। जागो सरकार। जागो मुख्यमंत्री जी। बहुत देर हो गई है।